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ग्रंथांक
स्थिति
पूर्णता
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण रचना वर्षआदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी-
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
भाषा
कति प्रकार
श्लोक ५८००
पद्य
ओघनियुक्ति-दीपिकाटीका.... १६४१३ : विचाररत्नाकरसवीजक
माणिक्यशेखरसूरि श्रेष्ठ
सं. संपूर्ण
कागज
:वि. १६९०
:२३३
उपा.विनयविजयजीए स्वहस्ते लिखितप्रति प्रथमादर्श., (१०.२४४.५)
विचाररत्नाकर
कीर्तिविजयगणि
संपण
कागज
(१०.५४४.५)
विचाररत्नाकर-बीजक चन्द्रलेखाकथा आदि (पे.१) चन्द्रलेखाकथा .12.22. मृगसुन्दरीकथा (पे.३) रणशूरकथा स्वप्नचिन्तामणि
श्लोक १४७
DEEEEEEE
(प.पू. १-२) (प.पू. २-३2. (पे.पू. ३-५)... (१०.२४४.५) (पे.पू. १-९. (प.पू.९-१०) (१०.५४४.२)
(4.22.
जगदेव
लोक३१३
श्लोक ४२ कागज
श्रेष्ठ
(पे.२) स्वप्नाध्याय १६४८७: वनस्पतिसप्ततिका
वनस्पतिसप्ततिकाप्रकरण १६५०६: योगविधि
संपूर्ण
मनिचन्द्रसरि
श्रेष्ठ
कागज
(१०.२४४.५),
संपूर्ण प्रा.,सं.
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
:वि
...........
प्रा.,सं.
१६५०७. उपधानविधिआदि
उपधानविधि-आदि सार्धशतकप्रकरण सटीक सूक्ष्माथेविचारसारप्रकरण
संपूर्ण
कागज
मध्यम जिनवल्लभ
(१०.५४४.५) गाथा १२३ थी १६४ सुधी जूदी-जूदी प्रतोमा मळे
गा.१६४
सयलन्तरायवीरं वन्दिय
सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-वृत्ति
ग्रं.३७००
वि. ११७१
चक्रेश्वरसूरि, धनेश्वरसूरि मध्यम
सूचीपत्रोमां बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंबतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे. (१०४४.५)
:१६५४२ प्रबोधचिन्तामणि
: सपूर्ण
कागज
वि. १७३०
:जयशेखरसरि
श्लोक १९७६
1:१६५५९. अष्टोत्तरीस्नात्रविधि
:संपण
कागज
(QoX४.२
प्रा..सं
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
3)
:(१०.२४४.५)
१६६२३ : तत्त्वार्थसूत्र स्वोपज्ञभाष्य सह .
तत्त्वार्थाधिगमसूत्र
उमास्वाति
अध्याय १०
सम्यग्दर्शनज्ञानचारि
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