________________
संपूर्ण कॉपी कोईक ठेकाणे तो उपलब्ध थई ज जाय जेथी ग्रंथ भंडार चिरकाळ सुधी सुरक्षित पण बने। बीजु कागळनुं लांबु आयुष्य होतुं नथी। २५/३० वर्षे कागळ पण नाश पामी जाय तेथी जो मात्र कागळ पर झेरोक्ष कॉपी ज बनाववामां आवे तो तेनी दर २५/३० वर्षे नवी कॉपी कराववी पडे। पण झेरोक्ष उपरथी पाछी कॉपी एटली स्पष्ट न आवे केटलुक भंसाई जाय। तेथी तेनो वारसो लांबाकाळ सुधी टकाववा माटे तेनी सीडी (कोम्प्युटर स्केनर द्वारा) जो बनावी होय तो तेनी कॉपी वारंवार गमे तेटलीवार करो तो पण ते जेवी होय तेवी ज आवे छे अने तेनी कॉपी बनाववी सरळ अने अत्यंत सस्ती पण छे. तथा घणी ओछी जग्यामां ते रही शके छे. उपयोग माटे हस्तांतरण पण सहेलुं छे। अने एना उपरथी कागळ उपर प्रीन्ट पण ज्यारे जोईए त्यारे स्पष्ट नीकळी शके छे। वळी तेमा प्रूफ रीडींग विगेरेनी पण कोई माथाकूट नहीं. जेवू होय तेवू ज रहे। जेथी लहिया द्वारा शास्त्रालेखनमा जे नवी भूलो गमे तेटलुं प्रूफ रीडींग करवा छता उमेराय छे ते न बने अने शास्त्रो मूळ स्वरूपमा चिरकाळ सुरक्षित अने उपयुक्त बनी जाय।
आ भावनाथी नाकोडा तीर्थमां दरेक ग्रंथोना केटलाक सेटो बनाववामां आव्या तेनी सी.डी. पण बनाववामां आवी। जे संघोए, ज्ञानभंडारोए तथा साधु भगवंतोए आ सेट राखवानी तथा वहिवट करवानी अने तेनो खर्च आवे ते आपवानी तैयारी बतावी तेमने आ ग्रंथोनी कॉपीओनो सेट आपवामां आव्यो छे। तेमां मात्र खर्च ज लीधो छ। अमे तो अपार समय, शक्ति अने द्रव्यनो भोग आप्यो छे छतां श्रुतसेवा कर्यानो घणो संतोष छ। झेरोक्षना संपूर्ण एक सेटमां लगभग बे लाख कागळोनी संख्या छ।
आ कार्यमां श्री नाकोडा जैन तीर्थे खूब खूब सहकार आप्यो छे। आ काम लगभग ७ (सात) महिना सुधी चाल्यु। त्यां सुधी आ तीर्थना ट्रस्टे आ काम माटे २२ (बावीस) तो रुमो होल विगेरे फाळवी आप्या। पोष सुद दशम मेळाना त्रण दिवसोमां हजारो यात्रिकोनी अत्यंत भीड होवा छतां अने तेमने रुमोनी अत्यंत आवश्यकता होवा छतां तेमने आ भगीरथ कार्यमां रोकायेली २२ रूमोमाथी एक पण रुम खाली करी आपवा मागणी करी नथी। तेमज पांच झेरोक्ष मशीनो, सात कोम्प्युटरो, चार स्केनरो, ए.सी. आदि माटे वधु पावरनी इलेक्ट्रीक लाईननी व्यवस्था पण नाकोडातीर्थे उभी करी आपी। आ काममां काम करनारा कर्मचारीओ तथा सेवा करनारा मळी लगभग १०/२० जणानी ७ महिना सुधी खावा-पीवानी रहेवानी तमाम जवाबदारी तीर्थ उपाडी लीधी। __नाकोडातीर्थना अध्यक्ष स्व. पारसमलजी भणसाली तथा नवा अध्यक्ष चंपालालजी पारख, प्रकाशजी वडेरा, रीखबचंदजी मालू, चंपालालजी मुथा मांडवला वाला आदि ट्रस्टीगण तथा बालोतरा वाला गणपतचंदजी पटवारी आदि महानुभावोनो सिंहफाळो रह्यो छे तेमज नाकोडातीर्थना मेनेजर श्री महेता साहेब तथा श्री पी. सी. जैन आदि तमाम स्टाफे पण खूब ज उदारताथी कार्यमां संपूर्ण सहकार आप्यो छे। ते माटे ते सहुने खूब खूब धन्यवाद घटे छ।
आ ग्रंथोनी कॉपीओ उपर लगाववा माटेना लेबलो तैयार करवा तेना हेडींगो तैयार करवा विगेरे कामोमां कोबा (गांधीनगर)ना ज्ञानभंडार ना संचालनमां जेमनुं मुख्य नाम छे एवा प. पू. पद्मसागरसूरिजी महाराज साहेबना शिष्यरत्न मुनिराज श्री अजयसागरजी महाराज साहेब श्री ए तो आ कार्यमां खूब खूब जहमत उठावी छे। आ ग्रंथो जुदा जुदा भंडारना हता। तेथी ते ते ग्रंथनी विस्तृत माहिती अमारी पासे न हती। तो ते बधी अधूरी माहितीने पूर्ण करवा माटे आ मुनिराजश्रीए महिनाओ सुधी केटकेटला ठेकाणेथी माहितीओ एकठी करी। भारे महेनत बाद पोते पोताना कामां अत्यंत व्यस्त होवा छता समयनो भोग अने एमनी कोठासूजनो उपयोग करी आ सर्वांगसुंदर सूचीपत्र बनाववानो तमाम यश एमने फाळे जाय छ। अने एमनी पासे कोम्प्यूटरनुं पण तलस्पर्शी ज्ञान होवाथी समये समये आ कार्यना कोम्प्युटर, स्केनर विगेरेना काममां सी.डी.
बनाववामां, सोफ्टवेर नक्की करवामां एमणे जे मार्गदर्शन आप्युं छे ते दाद मांगी ले तेवु छ। तेमने मारा अंतरना खूब खूब धन्यवाद आपुं छु।
जितेन्द्र मणिलाल संघवी अने अशोकभाई संघवी, अजयभाई शाहे पण वारंवार ठेठ अमदावाद थी नाकोडा आवी आ कार्यने सारी रीते संभाळ्यु हतुं। मुंबई बोरीवलीथी नीतिनभाई बगडीया पण आ कार्यमा सारो एवो रस लई तेमां बधो ज सहकार आपता हता। तेमज लाकडीया (वागड-कच्छ) ना नानालालभाईए पण सी.डी. तेमज सी.डी.राईटरनी खरीदीमां खूब ज सहकार आप्यो छे। तेमज अमदावादना वतनी प्रशांतभाई सुबोधभाई चिनुभाई (हाल - साउथ अमेरिका) ए पण सीडीराईटर भेट आपीने घणुं योगदान आप्यु छ।
नाकोडातीर्थनी ज्ञानशाळाना संचालक श्री नरेंद्रभाई कोरडीया तथा तेमना अनेक विद्यार्थिओ पण आ कार्यमा जोडाई गया हता। अमदावादना जयेशभाई तथा सतलासणाना गुणवंतभाई