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ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाताखेत) पाटण ताडपत्रीय ज्ञान भंडार खेतरवसीय पाडानो भंडार
पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र भाषा
परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीबीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
भवतांती में.]
गद्य
सम्पत्तनाणदंसणवीरिय
पद्य
वीतरागस्तव-टीका (पे.२) अनन्तनाथस्तोत्र ............: देवभद्रसूरि.... (पे.३) स्तम्भनकपार्श्वनाथस्तोत्र.... स्तम्भनपार्श्वनाथस्तोत्र
देवभद्रसूरि ......... प्रा. (पे.४) प्रमाणप्रकाश-प्रत्यक्ष प्रकाश
प.पू..१६-१८)..वि.:.गाथा-२९. (पे. पृ. ९८-९९).
:लच्छीलीलाभवणं थम्भणय
पद्य
:(पे. पृ.१००-११०) पं.वि. : अपूर्ण.
परिच्छेद-२ की प्रारंभिक २ श्लोक तथा :प्रारंभ से क्रमशः ८२ श्लोक तक है.
प्रमाणप्रकाश
:श्लोक८२
सन्न्यायनगरारम्भमल
..........: देवभद्रसूरि हेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति-अध्याय १-श्रेष्ठ
१४-२
प्रतिपूर्ण
ताडपत्र
२३१
६२/६४(८९)
(जुनो नं. २६)अङ्क १-२.
प्रणम्य परमात्मानं
सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुवृत्ति धातुपारायण
हेमचन्द्रसूरि श्रेष्ठ
ग्रं.३३०० ताडपत्र
प्रतिपूर्ण
१३२
६२/६४(९०)
(जुनो नं. १४)भ्वादिगण सुधी./झेरोक्ष पत्रांक ३१-१, ३१-२.३२-१, ३२-२ आ रीते बेवडाएल छे.. (१४४१.७)
हेमचन्द्रसरिसं
गं.५५००
... संपर्ण
आवश्यकनियक्ति
श्रेष्ठ
६२/६४(८६).......... जुनो.नं. २३)..(१५४२.५).
आनुं अने नंदिसूत्रनुं आदिवाक्य समान छे.
आवश्यकसूत्र-नियुक्ति
भद्रबाहस्वामी
गा,२५००गं
जयइ जगजीवजोणी वियाणओ
पद्य
3900
संपूर्ण
ताडपत्र
१७४
कल्पसूत्रमूल-कालकाचार्यकथा (पे.१) पज्जोसवणाकप्प
.................... ६२/६४(७५)......
(पे.पृ. १-१३३) पे.वि. : ग्रन्थान-१२१६. ग्रन्थान १२१६ को १३१६ बनाया गया है.
:भद्रबाहस्वामी
:ग्र.१२८०
नमा अरिहन्ताण.............. संयुक्त प+ग
कल्पसूत्र... (पे.२) मूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गताकालिकाचार्यकथा कालिकाचार्यकथामूलशुद्धिप्रकरणटीकान्तर्गता
(पे. पृ. १३३-१७४-) 4.वि. : अपूर्ण. अन्त के पत्र नहीं है. कृ.वि. : ग्रंथाग्र ३६० थी ४०० सुथी मळे छे.
देवचन्द्रसूरि
प्रा.
:वि. ११४६
अस्थि इहेव जम्बू
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