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ग्रंथांक
स्थिति
पूर्णता
प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र परिमाण
रचना वर्ष आदिवाक्य
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कता
क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार गद्य
भाषा
कागज
वि. १७४२
९.५४४.२
कागज
वि.१७३७
४२९-१(१)-४२८
(२८४)
(९.७X४.२
वि. १६८०
श्रीदं स्तात्परम श्रीमान स श्रीसमति
:वि. १६८0
किरणावली-स्वोपज्ञटीका
:उदयनाचार्य
सं. १४५४८: चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा सस्तबक
: जीर्ण
: संपूर्ण चन्द्रधवल-धर्मदत्तकथा
माणिक्यसुन्दरसूरि. चन्द्रधवल-थर्मदत्तकथा-टबार्थ
मारुगजेर १४५५५: धातुरत्नाकर
श्रेष्ठ
संपूर्ण स्वोपनक्रियाकलापनाम्नीवृत्तिसह धातुरनाकर
साधुसुन्दरगणि धातुरत्नाकर-स्वोपज्ञ क्रियाकलापवृत्ति :साधुसुन्दरगणि १४७९० उत्तराध्ययनसूत्र बृहद्धत्ति-पाइयटीका श्रेष्ठ
संपूर्ण उत्तराध्ययनसूत्र-बृहवृत्ति ..... शान्तिसूरि वादिवेतालसं.,प्रा. .१४७९१ . आवश्यकसूत्र बृहद्वृत्ति-शिष्यहिता..
श्रेष्ठ आवश्यकसूत्र-शिष्यहितावृत्ति
हरिभद्रसूरि
सं.,प्रा. .१४७९२ . सूत्रकृताङ्गसूत्रवृत्ति सूत्रकृताङगसूत्र-वृत्ति
शीलाडकाचार्य १४७९३ : भगवतीसूत्रवृत्ति
श्रेष्ठ
: संपूर्ण भगवतीसूत्र-टीका
अभयदेवसूरि :१४७९४ : भगवतीसूत्र सटीक पञ्चपाठ
श्रेष्ठ
संपूर्ण
वि.१६मी
२३४
(२३७)
(१४.५४५.५
श्लोक १33४५
शिवदाः सन्तु तीथेश
पद्य
मल साथै ग्रन्थान-१८०००.
संपूर्ण
कागज
:वि.१४७३
ग्रं.२२०००
प्रणिपत्य जिनवरेन
श्रेष्ट
संपूर्ण
वि. १६मी
१४६
कागज ग्रं. १२८५३.. कागज
.(३१७).. .... ग्रन्थान-२२०००. पत्र १६४९ नथी...(१४.५४५.५)..
गद्य (१४८) ........ ग्रन्थान-१३८५०...(१४४५.५). गद्य (३३१)
(१३.५४५.२)
स्वपरसमयार्थसचक
वि. १५८५...
३२९ सर्वज्ञमीश्वरमनन्त
..............
गं १८६१६
वि. ११२८ :वि. १६२०
कागज
२९२
: (२९७)
मूल ग्रन्थान-१५७५०. पत्र २३०मुंडबल छे., (१३.५४५)
भगवतीसूत्र
भगवतीसुत्र-टीका १४७९५ : भगवतीसूत्र सटीक मूल
सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि ........
ग्रे. १६००० ग्रं. १८६१६
नमो अरिहन्ताणं. सर्वज्ञमीश्वरमनन्त २८३
गद्य
वि. ११२८ वि. १५८५
:श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
(२८७)
: मूल ग्रन्थान-१५७५२. प्रथम पत्रमा समवसरणन
चित्र छे., (१३.२४५)
सुधर्मास्वामी अभयदेवसूरि
गद्य
मध्यम
संपणं
कागज
भगवतीसूत्र
भगवतीसत्र-टीका .१४७९६ स्थानाङ्गसूत्रवृत्ति
स्थानाङ्गसूत्र-वृत्ति १४७९७ दशवकालिकसूत्रसटीक
दशवैकालिकसूत्र दशवैकालिकसूत्र-बृहद्वृत्ति
अभयदेवसूरि श्रेष्ठ
ग्रं. १६०००
नमो अरिहन्ताणं. गं. १८६१६ : वि. ११२८ सर्वज्ञमीश्वरमनन्त
...वि. १६मी.....२५४. ग्रं. १४२५०..........वि. ११२०..
श्रीवीर जिननाथ कागज .... वि.१४७३ ९ ८ ग्रं. ७00
धम्मो मङगलमुक्कि .७५५०
जयति विजितान्यतेजाः
(२७०). गद्य (१००) संयुक्त प+ग गद्य
...... १३.५४५.५)
विशिष्ट रचना प्रशस्ति. ग्रन्थान-७५५०. पत्र ४२मुं डबल छे., (१४.५४५.५):
संपूर्ण
शय्यम्भवसूरि : हरिभद्रसरि
...............
वृत्ति नियुक्ति उपर पण छे.