Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 628
________________ अच्छ- अट्ठ ८५७,८६३,८८१,८२,८१,८६३ से ८६५, ८६७,८६,६०१,६०४,६०६, ६०७, ६१०, ११,१८, ६५७, १०३८, १०३६,१०८१ अच्छ ] आस् ] अच्छेज्ज ओ० १६५।१८ अच्छ [ ऋक्ष ] जी० ३।६२० घर [आसन गृहक] रा० १८२, १८३. जी० ३।२६४ अच्छण्ण [आच्छन्न ] जी० ३।५८१ अच्छत्त [अछत्रक ] ओ० १५४,१६५,१६६. रा० ८१६ अच्छरस [ अच्छरस ] रा० १६२. जी० ३।४५७ अच्छरा [ दे० ] ओ० १७० जी० ३८६ अच्छरा [ अप्सरस् ] रा० ३२,२०६,२११. जी० ३।३७२,५६७,६२१,११२२ अच्छि [ अक्षि ] ओ० १६. रा० २५४. जी० ३।१२६८, ३०३, ४१५,५६६ अच्छित [ अच्छिद्यमान ] रा० ७७ afrose [ अच्छिद्र ] ओ० ५,८,१६,२६. जी० ३।२७४,५६६, ५६७ अच्छित [ अक्षिपत्र ] रा० २५४. जी० ३।४१५ अच्छिदणा [ अक्षिवेदना ] जी० ३६२८ अच्छेत्ता [ अछित्वा ] जी० ३।६६० अच्छेयकर [ अछेदकर ] ओ० ४० अच्छेरग [ आश्चर्य ] जी० ३।५६७ अज [ अज] जी० ३।६१८ अजरा [अजरा ] ओ० १९५।१८ अजहण [ अजघन्य ] जी० ३।५६७ अजहणमणुक्कोस [अजघन्योत्कर्ष ] जी० ६४८, ५० अजिण [ अजिन ] ओ० २६ अजित [ अजित ] जी० ३।४४८ अजय [ अजित ] ओ० ६८. रा० २८२. जी० ३।४४८ अजीर [अजीरक ] जी० ३।६२८ अजीव [ अजीव ] ओ० ७१,१२०,१३७,१३८, १६२. रा० ६६८, ७५२,७८६ Jain Education International ५५१ अवाभिगम [ अजीवाभिगम ] जी० १।२ से ५ अजगत् [ अयोगत्व ] ओ० १८२ अजोगि [ अयोगिन् ] जी० १।१३३ ; ६।२१, ४६, ४७,५३,११३,११६,१२० अज्ज [ अद्य ] रा ० ६८८,६८६ अज्ज [आर्य ] ओ० १४६ अज्जग [आर्यक ] रा० ७५०,७५१,७७३ अजय [ आर्यक] रा० ७५०, ७५१ अज्जव [ आर्जव ] ओ० २५,४३. रा० ६८६,८१४ अज्जा [ आर्या ] रा० ८०६ अज्जिया [ आर्यिका ] ओ० १६. रा० ७५२,७५३ अज्जु [ अर्जुन ] ओ० ६,१०. जी० ३।५८३ अज्जुणसुवण्णगमय [अर्जुन सुवर्णकमय ] ओ० १६४ अज्झत्थिय [ आध्यात्मिक ] रा० ६,२७५, २७६, ६८८, ७३२, ७३७, ७३८, ७४६, ७६८,७७७, ७६१,७१३. जी० ३।४४१, ४४२ अक्षयण [ अध्ययन ] जी० १।१ अज्झवसाण [ अध्यवसान ] ओ० ११६,१५६. जी० ३।१२६/६ अज्झोयरय [ अध्यवतरक ] ओ० १३४ अज्झोववज्ज [ अधि + उप + पद् ] - अज्झोववज्जिहिति ओ० १५० रा० ८११ अज्झोववण्ण [ अध्युपपन्न ] रा० ७५३ अ] [आ] ओ०७४ अट्ट (शाण ) [ आर्तध्यान ] ओ० ४३ अट्टमाण [ आर्तध्यान ] रा० ७६५ अट्टणसाला [अट्टशाला ] ओ० ६३ अट्टालग [ अट्टालक ] जी० ३।५६४,६०४ अट्टालय [ अट्टालक ] ओ० १. रा० ६५४,६५५. जी० ३।५५४ अट्टियचित्त [ अतितचित्त ] ओ०७४।५ अट्ठ ]अर्थ ] ओ० २०,२१,५२,५४,५७,५६,६१, ६३, ८ से ६५, १११ से ११४,११७ से १२०, १५४,१५५,१५७ से १६०,१६२,१६५ से १६७,१६६,१७०, १७२, १७७, १८३, १८४, १८६ से १६१. रा० १३,१६,२५ से ३१,४५, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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