Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 795
________________ रत्तरयण-रयणामय रत्तरयण [रक्तरत्न ] ओ० २३ रयण [रत्न] ओ० २३,४७,४६,६३,६४. रत्तवई [रक्तवती] रा० २७६ रा० १०,१२,१७,१८,३२,३७,४०,५१,६५, रत्तवती [ रक्तवती] जी० ३।४४५ ६६,७०,१३०,१३२,१३७,१६०,१६५,२२८, रत्ता [ रक्ता] रा० २७६. जी० ३।४४५ २५६,२७६,२८१,२८५,२६२,६६५,७७४. रत्तासोग [रक्ताशोक] ओ० २२. रा० २७,७७७, जी० ३७,२४६० से ६३,२६५,३००,३०२, ७७८,७८८. जी० ३।२८० ३०७,३११,३३३,३४६,३५७,३७२,३८७, रत्ति [रात्रि] रा० ४५ ४१७,४४५,४४७,४५७,५८७,५८६,५६०, रत्तुप्पल [रक्तोत्पल] ओ० १६. रा० २७. ५६३,६७२,७७५,६३६,६३७ जी० ३।२८०,५६६,५६७ रयणकंड [रत्नकाण्ड] जी० ३१८,१५,२० रत्था [रथ्या] ओ० ५५. रा० २८१. रयणकरंडग रत्नकरण्डक] ओ० २६. १० १५४, ___ जी० ३।४४७ २५८,२७६,७५० से ७५३. जी० ३।३२७, रथ [रथ] जी० ३।८६ ४१६,४४५ रद्ध [राद्ध] जी० ३।५६२ रयणकरंडय [ रत्नकरण्डक] रा० १५४. रम [रम्]-- रमंति. रा० १८५. जी०३।२१७. जी० ३।३२७ -रमिज्जइ. रा० ७८३ रयणकरंडा [रत्नकरण्डक] जी० ३।३५५ रमणिज्ज [रमणीय] ओ० १६,४७,६३,१९२. रयणजाल [रत्नजाल] रा० १६१. जी० ३।२६५ रा० २४,३३,३५,६५,६६,१२४,१७१,१८६ रयणप्पभा [रत्नप्रभा] रा० १२४. जी० ११६२; २११००,१२७,१३५,१३८,१४८,१४६ ३३, से १८८,२०३,२०४,२१७,२३७,२३८,२६१, ५ से ६,१२ से १९,२२ से २६,२९,३०,३३, ७८१ से ७८७. जी० ३।२१८,२५७,२७७, ३७ से ३६,४२,४४,४५,४७ से ५७,५६ से ३०६,३१०,३३६,३५६ से ३६१,३६४,३६५, ६५,७३,७६ से ७८,८०,८१,८३ से ४८,१०३ ३६८,३६६,३६६,४००,४२२,४२७,५८०, से ११०,११२,११६,१२० से १२४,१२६ से ५६६,५६७,६२३,६३३,६३४,६४५,६४६, १२८,२३२,२५७,१००३,१०३८,१०३६, ६४८,६४६,६५६,६६२,६६३,६७०,६७१, ६७३,६६०,६६१,७३७,७५५ से ७५८,७६८, ___ रयणप्पहा [रत्नप्रभा] ओ० १८६,१६२. ८८३,८८४,८६०,६०५,६०६,९१२,६१३, जी० १११०१२।१३५ १००३,१०३८ रयणभार [रत्नभार] रा०७७४ रम्म [ रम्य ] ओ० ४,६. रा० १७०,१७३,६७०, रयणभारथ [ रत्नभारक] रा० ७७४ ७०३,८०४. जी० ३।२७३,२७५,२८५,५६१ रयणमय [रत्नमय] जी० ३१७४७ रम्मगवास [रम्यक वर्ष] रा० २७६. जी० २।१३, रयणा [ रत्ना] जी० ३।६७ से ७२,९२२ ३२,५६,७०,७२,६६,१४७,१४६; ३।२२८, रयणागर [रत्नाकर] रा० ७७४ रयणामय [रत्नमय] ओ० १२. रा० २१,२३,३८, रम्मयवास [रम्पकवर्ष] जी० ३।७६५ १२४,१२५,१२७,१२८,१३१,१३४,१४१, रय [रजस्] ओ० २३. रा०६,१२,२८१. १४५,१४८,१५१,१५२,१५५ से १५७,१६०, जी० ३।४४७,५९८ १६१,१८० से १८५,१६२,१६७,२२२,२५३, रय [रय] ओ० ४६ २५६,२५७,२७२. जी० ३।२६२,२६३,२६६, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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