Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 848
________________ सोमाण-हत्य ७७१ सोमाण [ सोपान] रा० ४७,१७५ से १७६,६५६... सोहम्मा [सुधर्मा] जी० ३।३७३ जी०३:५५६,६४०,६४१,८५७ सोहि [शोधि ] ओ० २५ सोय [शौच ] ओ० २५. रा० ६८६ सोहिय | शोभित ] ओ० ५,६,८,१६४. जी० ३।२७४, सोय [श्रोतस] ओ० १२२ २७५ सोयंधिय [सौगन्धिक] जी० ३६७ सोयणया [शोचनता] ओ० ४३ सोयधम्म | शौचधर्म] ओ० ६७ हंत |हन्त] रा० १५ सोल [षोडश] जी० ३।२२६।२ हंता [हन्त] ओ० ८४. रा० १७३. जी० ३।१३ सोलस | षोडशन ] ओ० ३३. रा०७. जी. ११४ हस [हस] ओ० ६६. रा० २६. जी० ३।२८२, ५६७ सोलसग [षोडशक ] जी० ३१५ सोलसभत्त [षोडशभक्त] ओ० ३२ हंसगब्भ [हंसगर्भ] रा० १०,१२,१८,६५ १६५, सोलसविध षोडशविध] जी० ३७,३५७ २७६. जी० ३१७,२८४ सोलसविह [षोडशविध] रा० १६५. जी० ३।३४६ हंसगन्भतूलिया हसगभतूलिका ] रा० ३१ सोलसिया [पोडशिका] रा० ७७२ हंसगन्भतूली [हंसगर्भवूली] जी० ३।२८४ सोल्लिय [पक्व ] अं० १६४ हंसगम्भमय हंसगर्भमय ] रा० १३०. जी० ३।३०० सोवणिय सौणिक रा० ३७,२४५,२७६,२८०. हंसस्सर [हंसस्तर] रा० १३५. जी० ३।३०५,५६८ जा० ३।३११,४०७,४४५,४४६,४४८ हंसावलिपविभत्ति [हंसावलिप्रविभक्ति ] रा० ८५ सोवत्थिय सौवस्तिक ओ० १२,६४. रा० २४. हंसासण [हंसासन] रा० १८१,१८३,१८५ जी० ३१२६३,२६५,२६७,८५७ जी० ३।२७७.५६६ हक्कार आ+कारय् ]-हक्कारेति रा०२८१. सोवाण [ सोपान] रा० १९,२० ४८,५६,५७, जो० ३१४४७ २०२,२३४,२६४,२७७,२८८,३१२,४७३. हटु हृष्ट] ओ० २०,२१,५३,५४,५६,६२,६३, जी० ३१२८७.२८५,३६३.३६६,४४३,४४७, ६८,७८,८०,८१. रा०८,१०,१२ से १४, १६ ५३२,५७६,६६६.६८४ से १८,४७,६०,६२,६३,७२,७४,२७७,२७६, सोस [शोष] जी० ३६६२८ २८१,२६०,६५५,६८१,६८३,६६०,६६५,७००, सोह [शोभ] ओ० ५२. रा० ६८७ से ६८९ ७०७,७१०,७१३,७१४,७१६,७१८,७२५,७२६, सोहंत [शोभमान] रा० १३६ ७७४,७७८. जी० ३.४४३,४४५,४४७,५५५ सोहग्ग [सौभाग्य] ओ०६६ हडप्पगाह [हडप्पग्राह] ओ० ६४ सोहम्म [ सौधर्म ] ओ० ५१,६५,१६०,१६२. हडिबद्धग [हडिबद्धक ] ओ०६० रा० ७,१२,५६,१२४,२७६,७६६. जी०११५६; हण [घातय].-हण रा० ७६१ २।१६,४६,१४६; ३१६३७,१०३८,१०५७, हणु [हनु] ओ० १६ १०६५,१०६७,१०७१,१०७३,१०७५,१०७७ हणुया [हनुका] जी० ३१५६६,५६७ से १०८३,१०८५,१०८७,१०६०,१०६१, हत्थ [हस्त] ओ० २१,५४,६६,१११ से ११३, १०९३,१०६७ से १०६६,११०१,११०५, १३७,१३८. रा० १३३,२८१,२८८ से २६०, ११०७,११०६ से १११२,१११४,१११७, ६५६,७१६,७५३,८०४. जी० ३।४४७,४५४ ११६,११२१,११२२,११२४,११२८ से ४५६,५६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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