Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 847
________________ ७७० सोडियालिछ-सोमाकार सोंडियालिछ [शुण्डिकालिञ्छ ] जी० ३।११८ सोंडीर [शौण्डीर] ओ० २७. रा० ८१३ सोक्ख [सौख्य] ओ० २३,१६५।१३,१४,१७. जी० ३।११८,११६ सोग [श क] ओ०४६. रा० ७६५. जी०३।१२८ सोगंधिय [सौगन्धिक] ओ० १२. रा० १०,१२, १८,२३,६५,१६५,१७४,१६७,२८८. जी० ३११८,११६,२५६,२८६,२६१ सोच्चा | श्रुत्वा] ओ० २१. रा० १३. जी० ३।४४३ सोणंद [दे०] त्रिपदिका ओ० १६. जी० ३१५९६ सोणि [श्रोणि] जी० ३।५६७ सोणिय [ शोणित] रा० ७०३ सोसुणित्तग धोणिसूत्रक] जी० ३१५६३ सोत [श्रोतस्] जी० ३।७४६ सोतिदिय [श्रोत्रेन्द्रिय] जी० ३।६७६,६७७ सोत्थि स्वस्ति] जी० ३।१७७ सोत्थिकूड [स्वस्तिकूट] जी० ३।१७७ सोत्थिय स्वस्तिक] रा० २१,२४,४६,८१,२६१. जी० ३।२७७,२८६,३१४,३४७,३५५,५६७ सोत्थियकंत [स्वस्तिककान्त] जी० ३।१७७ सोत्थियज्झय [स्वस्तिक ध्वज जी० ३।१७७ सोत्थियपभ [स्वस्तिकप्रभ] जी० ३३१७७ सोत्थियलेस [स्वस्तिकलेश्य ] जी० ३.१७७ सोत्थियवण्ण [स्वस्तिकवर्ण] जी० ३।१७७ सोत्थियसिरिवच्छनंदियावत्तवद्धमाणगभट्टासणकलसमच्छदप्पणमंगलभत्तिचित्त स्विस्तिक श्रीवत्सनन्द्यावर्त्तवर्धमानकभद्रासनकलशमत्स्य दर्पणमङ्गलभक्तिचित्र] रा० ७६ सोत्थियावत्त [स्वस्तिकावर्त] जी० ३।१७७ सोथिसिंग [ स्वस्तिशृङ्ग] जी० ३:१७७ सोत्थिसिट्ठ [स्वस्तिशिष्ट] जी० ३।१७७ सोत्थुत्तरवडिसग [स्वस्त्युत्तरावतंसक जी० ३।१७७ सोधम्म सौधम] रा० ५६०. जी० २।९६,१४८, १४६; ३३१०३८,१०३६ सोधम्मक [ सौधर्मक] जी० २।१४८,१४६ सोधम्मग [सौधर्मक] जी० ३।१०३६ सोधम्मवडेंसग [ सौधर्मावतसक] रा० १२६ सोधम्मव.सय [ सौधर्मावतंसक | रा० १२५ सोपाण [सोपान] जी० ३।४५४,५६४ सोभ | शोभ] ओ० ६३. जी० ३१७२२,८२०,८३०, ८३४,८३७,८५५ सोभ [शोभय]- सोभंति. जी० ३१७०३. सोभिंसु. जी० ३।७०३.-सोभिस्संति. जी० ३१७०३.--सोभेसु. जी. ३१८०५ सोभंत [शोभमान] ओ० ४६. रा० ६६. जी० ३।३०६,५९७ सोभग्ग [मौभाग्य] ओ० २३ सोभण [शोभन ] ओ० १४५. रा० ८०५ सोभमाण [ शोभमान [ जी० ३।५६१ सोभिय [शोभित ] ओ० १ सोभेमाण [शोभमान ] जी० ३।५८६ सोम (सौम्य ] ओ० १५.१६. रा० ७०,१३३, ६७२ जी० ३।३०३,५६६,५६७,११२२ सोमणस [सौमनस] ओ० ५१. जी० ३ ६२५,६३४ सोमणसवण [सामनसवन रा० १७३,२७६. जी० ३।२८५,४४५ सोमणसा सोमनसा जी० ३१६६६,६२० सोमणस्सिय [सोमनस्यित, सौमनस्यिक] ओ०२० २१,५३,५४,५६.६२,६३,७८,८०,८१. रा०८, १०,१२ से १४,१६ से १८,४७,६०,६२,६३, ७२,७४,२७७,२७६,२८१,२६०,६५५,६८१, ६८३,६६०,६६५,७००,७०७,७१०,७१३, ७१४,७१६,७१८,७२५,७२६,७७४,७७८. जी० ३।४४३,४४५,४४७,५५५ सोमलेस सोमलेश्य ] ओ० २७. रा० ८१३ सोमाकार [सौम्याकार] ओ० १५,१४३. रा० ६७२,६७३,८०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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