Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 845
________________ सुहमवाउकाइय-सूरिल्लिमंडवग सुहुमवाउकाइय [सूक्ष्मवायुकायिक] जी० ५।२७, सूरवीव [सूरद्वीप] जी० ३७६५,७६९,७७१,७७७ सूरद्दीव [सूरद्वीप] जी० ३।६३७ सुहमवाउक्काइय | सूक्ष्मवायुकायिक] जी० ११८० सूरपरिएस [सूरपरिवेश] जी० ३८४१ सुहमसंपरायचरित्तविणय [सूक्ष्मसम्परायचरित्र- सूरपरिवेस [ सूरपरिवेश] जी० ३१६२६ विनय] ओ० ४० सूरप्पभा [ सूरप्रभा] जी० ३।७६५,१०२६ सुहुमसरीर [ सूक्ष्मशरीर] जी० ३३१२६६ सूरमंडल [सूरमण्डल] रा० २४. जी० ३।२७७, सुहुय [सुहुत] ओ० २७. रा० ८१३ ५६० सुहोत्तार [सुखोत्तार] जी० ३।५६४ सूरमंडलपविभत्ति [ सूरमण्डलप्रविभक्ति ] रा०६० सुहोदय | शुभोदक, सुखोदक ] ओ० ६३ सूरवडेंसय [ सूरावतंसक] जी० ३।१०२६ सुहोयार [सुखावतार जी० ३।२८६ सूरवरोभास | सूरवरावभास] जी० ३।६३८ सूइभूत सूचीभूत ] जी० ३।४४३ सूरविमाण [सूरविमान] जी० २।४१; ३३१००३ सई शुवी] रा० १६,१३०,१७५,१८०,१६७. से १००५,१००६,१०११,१०२६ जी० ३।२६४,२६६,२८७,३०० सूरागमणपविभत्ति [सूरागमनप्रविभक्ति] रा०८७ सूईकलाव [शूचीकलाप] जी० ११७७,७६ सूराभिमुह [ सूराभिमुख ] अ० ११६ सूईपुडंतर [शूचोपुटान्तर] रा० १६७. सूरावरणपविभत्ति [सुरावरणप्रविभक्ति रा०८८ जी० ३१२६६ सूरावलिपविभत्ति सूरावलिंप्रविभक्ति रा० ८५. सूईफलय [ शूचीफलक[ रा० १६७. जी० ३।२६६ सूरिय [ सूर्य ] ओ० १६२. रा० ४५,१२४. सूईभूय [ शूचीभूत] रा २८८ जी० ३।१७६,१७८,१८०,१८२,२५७,७०३, सूईमुख [शूचीमुख] रा० १६७ ७२२,८०६,८२०,८३०,८३४,८३७,८४१,८४२. हुईमुह । शूचीमुख ] जी० ३।२६६ ८४५,९८८ से १०००,१०२०,१०३७,१०३८ सूचिकलाव [शूचिकलाप] जी० ३१८५ सरियकंत [सूर्यकान्त ] रा०६७३,६७४,७६१ से ७६३ सूणगलंछणय [सूणालाञ्छणक रा० ७६७ सूरियकता सूर्यकान्ता] रा० ६७२,६७३,७५१, सूमाल [सुकुमार] रा० २८५. जी० ३१२७४,४५१ ७७६,७६१ से ७६४,७६६ सूयगडधर [ सूत्रकृतधर] ओ० ४५ सूरियाभ सूर्याभ] रा० ७,९,१०.१२ से १८,४१ सूयपुरिस [सूपपुरुष] जी० ३।५६२,५६७ से ४४,४६ से ४६.५५ से ६५,६८,६६,७१ से सूर सूर] ओ० १६,२२,२७,५०. रा०१३३, ७४,११८ से १२०,१२२,१२४१२६,१२६, ७७७,७७८,७८८,८०३,८१३. जी० २०१८ १६२,१६३,१६६,१७०,१८७,२४०,२५,२६६ ३१२५८,३०३,५८६,५६३,५६६,७६५,७६७, २६८,२७०,२७४ से २६१,६५४ से ६६७, ७६९,७७१,७७३,७७५,७७७,७७६,८३८१४, ७६६ से ७६६ १०,१५,२१,२३,२४,२७,२८,२६,३२,६३७, सूरियाभविमाणपइ [सूर्याभविमानपति राम ६५०,६५३,१०१६,१०२०,१०२१,१०२६, सूरियाभविमाणवासि [ सूर्याभविमान वासिन्] ११२२ रा० ७,१५ से १७,५५,५६,५८,२८०,२८२, सूरकंतमणि [सूरकान्तमणि] जी० ११७८ २८६,२६१,६५७ सूरणकद [शूरणकन्द] जी० ११७३ सुरिल्लिमंडवग [दे० सूरिल्लिमण्डपक] रा० १८४. सूरत्थमणपविभत्ति [सूरास्तमनप्रविभक्ति] रा० ८६ जी० ३।२६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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