Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 846
________________ सूरिल्लिमंडवय-सोइंदिय ७८९ सुरिल्लिमंडवय (दे० सूरिल्लिमण्डपक] रा० १८५ सेय [सेक] जी० ३१५६२ सरुग्गमणपविभत्ति [सूरोद्गमनप्रविभक्ति] रा० ८६ सेयकणवीर [श्वेतकणवीर] रा० २६. सूरोवराग [सूरोवराग] जी० ३।६२६,८४१ जी० ३१२८२ सूल | शूल ] ओ० ६४. जी० ३।११० सेयबंधुजीव [ श्वेतबन्धुजीव] रा० २६. सूलग्ग [शूलाग्र ] जी० ३.८५ जी० ३१२८२ सूलभिण्णग [शुलभिन्नक] ओ०६०. रा० ७५१ ।। सेयमाल [श्वेतमाल ] जी० ३१५८२ सूलाइग | शूलातिग] रा० ७५१ सेयविया [श्वेतविका] रा० ६६६ से ६७१,६८१, सूलाइय [शूलातिग] रा० ७६७ ६८३,६६६,७००,७०२ से ७०४,७०६,७०८, सूलाइयग [ शूलाचितक, शूलातिग] ओ०६० ७१० से ७१३,७१६,७२६,७५० से ७५३, से [ दे० ] ओ० ३१. रा० १२. जी० ११२ ७७५,७७६,७८०,७८७,७८८ सेउ सेतु] ओ० १,७,८,१०. जी० ३।२७६ सेयासोग [श्वेताशोक रा० २६ सेउकर [ सेतुकर] ओ० १४. रा० ६७१ सेरियागुम्म [सेरिकागुल्म] जी० ३।५८० सेज्जा [शय्या ] ओ० ३७,१२०,१६२,१८०. सेल [शैल] ओ० ४६. जी० ३।५९४ रा०६६८,७०४,७०६,७११,७१३,७५२,७७६, सेलपाय [शैलपात्र] ओ० १०५,१२८ सेलबंधण [शैलबन्धन] ओ० १०६,१२६ सेट्टि दे० श्रेष्ठिन् ] ओ० १८,२३,५२,६३. रा० ६८७,६८८,७०४,७५४,७५६,७६२, सेला [शैला] जी० ३।४ ७६४. जी. ३१६०६ सेलु [शेलु] जी० ११७१ सेढी [श्रेणी] ओ० १६,४७. रा० २४,७६०,७६१. सेलेसी [शैलेसी] ओ० १८२ जी० ३१२७७,५६६,७२३,७२६ सेवालगुम्म [शैवालगुल्म] जी० ३।५८० सेणा [ सेना] ओ० ५५ से ५७,६२,६५ सेवालभक्खि [शैवालभक्षिन् ] ओ० ६४ सेणावई [सेनापति ] ओ० १८,२३,५२,६३. सेस [शेष] ओ० १२०,१६२. रा० २३६,६६८, रा०६८७,६८८,७०४,७५४,७५६,७६२,७६४ ७५२,७८६. जी० ११६४,६५,७७,७६,८२, सेगावच्च | सेनापत्य ] ओ० ६८. रा० २८२. ८८,९०,१०१,१०३,१११,११२,११६,१२१, जी० ३।३५०,४४८,५६३,६३७ १२३,१२४; २॥३७,८६,१२०, ३.६८ से ७२, सेणावति | सेनापति ] जी० ३१६०६ १६१,१६५,२१६ से २२६,२४३,२५८,३५५, सेत [ श्वेत] जी० ३।३००,३५४,४५४,८८५ ६८७,७०६,७११,७४१,७५०,७६२,७६५, सेतासोय [श्वेताशोक] जी० ३।२८२ ७६६,७६९,७७०,८७२,८३८४२२,८५१, सेषा [दे०] जी० २६ ९१४ से ६१६,६३६,६५०,६६२,११२२, सेय [ श्वेत ओ० ५१,६५,६७,१६४. रा० १२६, ५.३१,३४,६।४,६ १३०,१६२,१६०,२१०,२१२,२२२,२८८. सेहवेयावच्च [शैक्षवैयावृत्य] ओ० ४१ जी० ३।२६४,३००,३१२,३३५,३७३,३८१, महाव [शिक्षय ]-सेहाविहिति. ओ० १४६. --सेहावेहिइ. रा० ८०६ सेय [स्वेद] ओ० ८६,६२. जी० ३।५६८ सेहावित्ता [शिक्षयित्वा] ओ० १४६ सेय श्रेयस् ] ओ० ११७. रा०६,२७५,२७६, सेहावेत्ता [शिक्षयित्वा] रा०८०७ ७७४,७७७,७८१. जी० ३।४४१,४४२ सोइंदिय [श्रोत्रेन्द्रिय] ओ० ३७. जी० १११३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854