Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 812
________________ वज्जुप्पभ-विदेह विज्जुप्पभ [विद्युत्प्रभ] जी० ३७४६ जी० ३३७२,४५७ विज्जुप्पभा [विद्युत्प्रभा] जी. ३।७५१ विणिम्मुयमाण [विनिर्मुञ्चत् ] जी० ३३११८ विज्जुमुह [विद्युन्मुख जी० ३।२१६ विणिवाय [विनिपात] ओ० ४६ विजयंतरिय [विद्युदन्तरिक] ओ० १५८ विणीत [विनीत] जी० ३१७६५,८४१ विज्जयाइत्ता [विद्युतायित्वा] रा० १२ विणीय विनीत] ओ०६१. रा० ७६५,७६६, /विज्जुयाय [विद्युताय]-विज्जुयायंति. रा० १२. ७७०,८०४. जी० ३१५६८,७६५,८४१ जी० ३।४४७ विणीयया [विनीतता] ओ० ११६ विज्जुयार [विद्युत्कार] जी० ३।४४७ विण्णय [विज्ञक] रा०८०६,८१० -विज्सव [वि+ध्यापय् ]-विज्झवेज्जा. रा०७६५ /विण्णव [वि+ज्ञपय]---विण्णवेहि. रा० ६६६ विज्झाय [विध्यान] रा० ७६५ विष्णाण [विज्ञान] ओ० २३. रा० ७५८,७५६, विट्ठर [विष्टर] जी० ३१५८७ ७६५,७६६,७७० विडंग [विटङ्क] जी० ३३५९४ वितण्ह [वितृष्ण] जी० ३३१०६ विडाल [बिडाल] जी० ३१६२० वितत [वितत] रा० २४,११४,२८१. विडिम [दे० विटप] ओ० ५,८,५१. रा० २२७, जी० ३।२७७,४४७,५८८ २२८. जी० ३१२७४,३८६,३८७,५६८,६७२, विततपक्खि [विततपक्षिन्] जी० १।११३; ६७४,६७६ २।१० विणइय [विनयित] रा० ७२३ वितार [वितार] रा० ७६ विण? [विनष्ट] जी० ३८४ वितिक्कत [व्यतिक्रान्त] रा० ८०१ विणमिय [विनत] ओ० ५,८,१०. रा० १४५. वितिमिर [वितिमिर] जी० ३।५८६ जी० ३।२६८,२७४ वित्त [वित्त] ओ० १४,१४१. रा० ६७१,६७५ विणय [विनय] ओ० २,२३,३८,४०,४७,५२,५६, वित्ति [वृत्ति] ओ०६१ से ६३,१६१,१६३. रा० ७५२,७७६ ५७,५६,६१,६६,७०,८३,१३६. रा० १०,१४, १८,६०,७४,२७६,६५५,६७१,६८१,६८७,६६२, वित्थड [विस्तृत] ओ० ७१. रा० ६१. जी० ३८१,५२,८३८।१५,१०७३,१०७४ ७०७,७१६,७३७,७७७,७७८. जी०३१४४५, वित्थरतो [विस्तरतस् ] जी० ३।२५६ विस्थार [विस्तार] जी० ३।७३ विणयओ [विनयतस् ] रा० ६६४ वित्थिण [विस्तीर्ण] ओ० १४१. रा० १७,१८, विणयतो [विनयतस् ] जी० ३१५६२ १२४,१२७,७६६. जी. ३१५७७,६६१,७३६, विणयपडिवत्ति [विनयप्रतिपत्ति] रा० ७७६ १०३६ विणयसंपण्ण [विनयसम्पन्न ] ओ० २५. रा० ६८६ विदिण्णविचार [विदत्तविचार] रा० ६७५ विणासण [विनाशन] रा० ६,१२,२८१. विदित [विदित] ओ० २६ जी० ३।४४७ विदिसा [विदिशा] जी० ३४६१८ विणिच्छय [विनिश्चय ] रा०६८९ विदिसीवाय [विदिग्वात] जी० ११८१ विणिच्छिय [विनिश्चित ] ओ० १२०,१६२. विदुपरिसा [विद्वत्परिषद्] रा० ६१ रा० ६६८,७५२,७८६ विदेस [विदेश] ओ० ७०. रा० ८०४ विणिम्मुयंत [विनिर्मुञ्चत् ] रा० ३२,२९२. विदेह [विदेह ] ओ० ६६. जी० २।८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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