Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 828
________________ समय-समुग्धाय ७५१ १६६,२००,२०३,२३२ से २३८, २४१ से से ३२४,४५४ २४८, २५० से २५३,२५५, २६७ से २७३, समाणुभाग [समानुभाग] जी० ३।११२० २७५ से २८२,२८४ से २६३ समादाण [समादान] जी० ३।११७ समय [समक] जी० ३।२७३,२६८ समामेव [समकमेव] रा० ७५ समयओ [समयतस् ] रा०६६४ समायर [समा+चर]- समायरह. रा० ७५१ समयखेत्त [समयक्षेत्र रा० २७६. जी० ३।४४५ समायरित्ता [समाचर्य] रा० ६६७ समयग [समयक] जी० ७।४। समायरेत्ता [समाचर्य ] रा० ७५१ समयतो [समयतस ] जी० ३।५६२ समारंभ [समारम्भ] ओ०६१ से ६३,१६१,१६३ समयस [समयशस् ] जी० ३।११२० समावडिय [समापतित] ओ०४६ समयिक [सामयिक] जी० ६।२ से ५ समावण्णग [ समापन्नक ] जी० ३।८४२,८४५ समयिग [सामयिक ] जी० ६।६ समास [समास] जी० ३।८३८।१ समरस [समरस] रा० २२८. जी० ३।३८७ समासओ | समासतस्] जी० ११५,५८,६५,७३, समरसोद [समरसोद] जी० ३२८६ ८४,८८,८६,९२,१००,१०३,१११,११२,११६, सिमलंकर [सं-1-अलं---कृ]--समलंकरेइ. ११८,१२१,१२६,१३५ ओ० ५६ समासतो [समासतस्] जी० २७८,८१, ३।२२६ समलंकरेता [समलङ्कृत्य] ओ०५६ समाहय [समाहत] ओ० ४६. रा० १२,७५८, समल्लीण [समालीन] ओ०१३. रा०४ ७५६. जी० ३।११८ समाहि समाधि] ओ० ११७,१४०,१५७,१६२. समवायधर [समवायधर] ओ० ४५ रा० ७६६ समसोक्ख [समसौख्य ] जी० ३.११२० समिड्ढीय [समधिक] जी० ३१११२० समहिद्विज्जमाण [समधिष्ठीयमान] रा०७५१ समिता [समिता] जी० ३।२३५.१०४०,१०४४, समाइण्ण [समाकीर्ण ] ओ० ७१. रा० ६१ १०४६ समाउत्त [समायुक्त] ओ० ६४. रा० ५१ समिद्ध [समृद्ध] ओ० १,१४. रा० १,६६८ से समाउल [समाकूल] रा० १३६. जी० ३।३०६ ६७१,६७६,६७७ समाण [स] ओ० २०,५२,५६,६३,६४,६८, समिया [समिता] जी० ३।२३६,२४१ ११७,१४२,१४४,१५७. रा० १०,१२ से १५, समग्ग [समुद्ग] ओ० ७४।५. रा० १६१,२५८, १८,४६,६०,६३,६४७२,७४,२७४,२७५, २७६,३५१. जी० ३।३३४,४१६,४४५,५९६ २७६,२८३,२८६,६५५,६८१,६८५,७००, समुग्गक [समुद्गक] जी० ३३४०२,५१६ ७०१,७०३,७०७,७१०,७१३,७२५,७२८, समुग्गग [समुद्गक] जी० ३१३०० ७५७,७६५,७७४,७६२,७६७,८००,८०२. समुग्गपक्खि [समुद्गपक्षिन् ] जी० ११११३,११६ जी० ३।११८,११६,४४०,४४१,४४५,४४६, समग्गय [समुद्गक] ओ० १७०. रा० १३०,२४० ४५२,५५५,६१७,६८६ २७६,३५१. जी० ३।४०२,४४२,५१६,१०२५ समाण समान] ओ० २३,२६,२६,११७. समुग्धात [समुद्घात ] जी० ३।१०८,१५७,१११८ रा० १३१,१३२,१४७ से १५१,१६७,२८८, समुग्धाय [समुद्घात] ओ० १७१,१७२,१७५, ७५० से ७५३,७६६. जी० २।७४,९८,१४०%; १७७. जी० १११४,२३,८२,८६,६६,१०१, ३।१११,११८.११६,२६६,३०१,३०२,३२१ ११६,१३३,१३६, ३।१२७१४,१६० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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