Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 836
________________ सालि-सिंगार सालि [शालि] ओ० १. रा० १५०. जी० ३१६२१, साहरण [संहरण] जी० २१११६,१२४ साहरणसरीर [साधारणशरीर] जी० ११६८,७३ सालिपिट्ठ [शालिपिष्ट] रा० २६. जी० ३१२८२ ।। साहरिज्जमाण [संहियमाण] रा० ३०,८०४. सालिसय [सदृशक] रा० २४५. जी० ३।४०७ जी० ३।२८३ सावएज्ज [स्वापतेय] रा० ६६५. जी० ३६०८ साहरिज्जमाणचरय [संह्रियमाणचरक] ओ० ३४ सावज्ज [सावद्य] ओ० ४०,१३७,१३८ साहरित्ता [संहृत्य ] जी० ३।४५७ सावज्जजोग [सावद्ययोग] ओ० १६१,१६३ साहसिय [साहसिक ] ओ० १४८,१४६. रा० सावतेज्ज [स्वापतेय] ओ० २३ ८०६,८१० सावत्थी [श्रावस्ती] रा० ६७५,६७७ से ६८० साहस्सित साहसिक ] जी० ३१८४२ ६८३,६८५ से ६८६,६६२,७००,७०६, साहस्सिय [साहास्रिक] रा० ५६. जी० ३८४२, ७११ साहस्सी [साहस्री] ओ० १६. रा० ७,४१ से ४४, सावय [स्वापद] ओ० ४६. जी ३।६२० ४८,५६ से ५८,२३५,२३६,२८०,२८२,२८६, सावय [श्रावक ] जी० ३।७६५,८४१ २६१,५६८,६५७,६५८,६६० से ६६२,६६४. सावाणुग्गहसमत्थ [शापानुग्रहसमर्थ] ओ० २४ जी० ३.२३६,२४६,२५५,३३६,३४१ से साविया [श्राविका] जी० ३१७६५,८४१ सावेत [श्रावयत्] ओ०६४ ३४५,३५०,३६७,३६८,४४६,४४८,४५५, ४५७,५५७,५५८,५६०,५६२,५६३,६३५, सास [श्वास] जी० ३१६२८ ६३७,६५७ से ६५९,६८०,७००,७२१,७३३, सासंत [शासत्] ओ०६४ ७३८,७६० से ७६३,६०२,६०३,१०२५, सासत [शाश्वत] जी० ३३५७,५८,८७,७०२, १०३८,१०४१,१०४४,१०४६,१०४६ से ७६० १०५२ सासय [शाश्वत ओ० १८३,१८४,१६५।१६,२१. साहस्सीय [साहस्रिक] रा० ६७१ रा० १३३,१६८ से २००. जी० ३१५६, साहा [शाखा] ओ० ५,८. रा० २२८. १२७२,२७० से २७२,३०३,३५०,७२१, जी० ३१२७४,३८७,६७२ ७२४,७२६,७६०,१०८१ साहित्ता [कथयित्वा] रा०६ सासा [स्वाशा,शास्या] ओ० ४६ साहिय [साधिक] ओ०१६७ सिाह [कथय,शास्]- साहिति. रा० ११ साहिय [सहित] जी० ३।६२५ -~साहेति. रा० २८१. जी० ३१४४७ साहिय साधित] रा० ७६५ -साहेह. रा०६ साहु [साधु] ओ० ४६,१६१,१६३ सिाह [साध्]-साहेइ रा० ७६५-साहेज्जासि. सिंग [शृङ्ग] रा० ७१,७७ रा० ७६५.–साहेमि. रा० ७६५ सिंगबेर [शृङ्गबेर] जी० ११७३ साहटु [संहृत्य ओ० २१ सिंगभेद [शृङ्गभेद] ओ० १३ साहण [स+ हन् ]- साहणेज्जा. जी० ३।११८ ।। सिंगमाल [शृङ्गमाल] जी० ३१५८२ साहम्मि यवेयावच्च [सार्मिकवयावृत्य] ओ० ४१ ।। सिंगवाय [शृङ्गवादक] रा०७१ साहय [संहत] ओ० १६. जी० ३।५९६,५६७ सिंगार शृिङ्गार] ओ०१५. रा०७०,७८,१३३, साहर [सं+ ह]- साहरति जी० ३।४५७ ६७३,८०६,८१०. जी०३१३०३,५६७,११२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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