Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 802
________________ लोहियक्खमणि-वंदणकाम ७२५ १३०,१६५,२५४,२७९. जी० ३१४१५ लोहियक्खमणि [लोहिताक्षमणि] रा० २७ लोहियक्खमय [लोहिताक्षमय [ रा० १३०,२४५ __ जी० ३१४०७,४७७ लोहितपाणि [लोहितपाणि] रा० ६७१ लोही [लोही] जी. ११७३ लोही [लौही] जी० ३१७८ व [ इव] ओ० २७ व [च] जी. ३।१२६६ वह [वाच्] ओ० ३७,४० वइकच्छछिण्णग [वैकक्षछिन्नक] ओ०६० वइगुत्त [वाग्गुप्त] ओ० १६४ वइजोग [वाग्योग] ओ० ३७ वइजोगि [वाग्योगिन् ] जी० ११३१,८७,१३३; ३।१०५,१५३,११०६६।११३,११४,११७, ३००,३२१,३३८,३५१. जी० ३८७,१११, २६१,२६४,२८६,२८७,३००,३०२,३०५, ३०७,३११,३१३,३२२,३२६,३५५,३७७, ३८७,३६३,३६७,३६८,४०१,४०२,४०७, ४१०,४१५,४३५,४४२,४६५,४८६,५०३, ५१६,५६२,६४३,६५४,६७२,६७६,७२४, ७२७,८८१,८६१,६००,६२७,६४८,१०२५ वइरोयणराय [वैरोचन राज] जी० ३।२४० से २४३ वइरोणिद [वैरोचनेंद्र ] जी० ३।२४० से २४३ वइरोसभणाराय [वज्रऋषभनाराच] ओ० १८५ वइरोसभनाराय [वज्रऋषभनाराच ] जी० ११११६ वइविणय [वाग्विनय] ओ० ४० वइसमिय [वाक्समित] ओ० १६४ वंक [वक्र] ओ० १ वंग [वङ्ग] जी० ३१५६५ वंग [व्यङ्ग] जी० ३।५६७ वंधण [वञ्चन] रा० ६७१ वंचणया [वञ्चनता] ओ०७३ वंजण [व्यञ्जन] ओ० १५,१४३. रा० ६७२, ६७३,८०१. जी० ३।५९६ बंद [वन्द्]---वंदइ. ओ० २१.--वंदंति ओ० ४७. रा० १०.-वंदति. रा० ८. जी० ३।४५७.---वंदह. रा०६..---वंदामि. ओ० २१. रा० ८.--वंदामो. ओ० ५२. रा० १०.--वंदिज्जाह. रा०७०६. -~-वंदिस्सति रा०६०४.--वंदेज्जा. रा० ७७६ वंद [वृन्द] ओ० ७०,७१. रा० ६१,६६२,७१६, १२० वइर [वज्र] ओ०१२,१६,४८. रा० १०,१२, १७,१८,२०,२२,३२,६५,१२६,१५६,१६०, १६५,२५६,२७६,२८१,२६२,७७४. जी० ३१७,६१ से ६३,२८८,२६०,३००,३३२, ३३३,३४६,३७२,४१७,४५७,५६६ वहरणाभ [वज्रनाभ] जी० ३।३२३ वइरनाभ वज्रनाभ] रा० १५० वइरभंड [वज्रभाण्ड] रा० ७७४ वइरभार [वज्रभार] रा० ७७४ वइरभारय वज्रभारक रा० ७७४ वइरमज्झा [वज्रमध्या ओ० २४ वइररिसहणाराय वज्रऋषभनाराच | ओ० ८२ वइरोगर [वज्राकर रा० ७७४ वइरामय वज्रमय रा० १६,३५,३७,३६,४०, ५२,५६,१३०,१३२,१३५,१३७,१५३,१७५, १६०,२१७,२१८,२२८,२३१,२३५,२३६, २४०,२५,२४७,१४६,२५४,२७०,२७६, ८०४ वंदण [वन्दन] ओ० २,५२. रा० १६,६८७,६८६ वंदणकलस वंदनकलश ओ० २,५५. रा० ३२, १३१,१४७,२५८,२८१,२६०. जी० ३१३०१, ३२०,३५५,३७२,४१६,४४७,४५६,८८६ वंदणकाम | वन्दनकाम] ओ०५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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