Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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भवण भासा
२४३,२४४,२४६,२७१, २७३, २७६ से २-२ भवण [ भवन ] ओ० १,१४,६६, १४१ रा० ६७१, ६७५,७६६. जी० ३।२३२ से २३४,२४०, २४४,२४८,५६४,५७,६०४,६४६ से ६४८, ६५१,६७३,६८२,६८,६६२ से ६६८, ७५६ भवणवs [ भवनपति ] रा० ११,५६. जी० २६५ भवणवति [ भवनपति ] जी० ३।६१७ भवजवासि [ भवनवासिन् ] ओ० ४८. जी० १.१३५; २।१५,१६,३६,३७,७१,७२, ६१, ६५, ६६, १४८, १४६; ३।२३० से २३२,१०४२ भवणवासिणी [ भवनवासिनो ] जी० २२७१, ७२,
१४८, १४९
भवणावास [ भवनावास ] जी० ३।२३२ भवस्थ [ भवस्थ ] ६।४४ से ४८, ५२, ५३ भवत्थकेवलणाण [ भवस्थकेवलज्ञान ] रा० ७४५ भवधारणिज्ज | भवधारणीय] जी० १६४,६६, १३५,१३६; ३६१,६३,१०८७ से १०८६, १०१, १०२, ११२१ से ११२३ भवच्च [ भवत्ययिक ] रा० ७४३ भवसिद्धिय [भवसिद्धिक] रा० ६२. जी० ६ १०६ भावियप्प [ भावितात्मन् ] ओ० १६६
से १११,११२
भविता [ भूत्वा ] ओ० २३. रा० ६८७ भसोल [भसोल ] रा० १०६,११६,२८१.
जी० ३।४४७
भाइलग [भागिक ] जी० ३।६१०
भाजय [ भ्रातृक ] रा० ६७५
भाग [भाग ] रा० ७८७,७८८. जी० ३।५७७, ६३२,६३६,८३८।१६,१०१० से १०१४
भाग [ भागिन् ] रा० ८१५
भाजण [भाजन ] जी० ३.५८७
भाणितव्व [ भणितव्य ] जी० २।११२; ३।७४,
१२०, १२१,१४४,२२७, ५७८, ६३१६५७, ६४७ भाणियव्व [ भणितव्य ] रा० ८०,१६४,२०१,
२०४ से २०६,७४२. जी० ११५१,७२,६६, ११८,१२३, १२६,१३५ २७६,७८,८०,८१,
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७०१
१०५, १०८, १११,११८,१२३, ३।७५,७७, १५६, १६२, २३१,२५०, ३५६.३५८, ३५६, ३६,४१२,४६३,६७३, ६७६, ६८२,७५६,
७६६,७६६,७७५,८००,८०१,८१८,८२८, ६३६, ६३६, १०४४, १०५०, ११२६, ११२७; २६ २२६
भामरी [ भ्रामरी ] रा० ७७ भाय [ भ्रातृ ] जी० ३।६११ भाय [आग ] रा० ७८८. जी० ३।५७७ √ भाय [भाज् ] - भाएंति. रा० २८१. जी० ३।४४७ भायरक्खिया [ भ्रातृ रक्षिता] ओ० ६२ भार [ भार] रा० ७७४
भारह [भारत] रा०८ से १०, १३, १५५६, ६६८ भारुंड पक्खि [ भारुण्डपक्षिन् ] ओ० २७. रा० ८१३ भाव [ भाव ] रा० ६३,६५,१३३,७७१,८१५.
जी० ३।३०३, ७२६
भावओ [ भावतस् ] ओ० २८. जी० ११३३,३४, ३६,३६
भावविग्ग [भावयुत्सर्ग] ओ० ४४ भावाभिगचर [ भावाभिग्रहचरक ] ओ० ३४
भावेमाण [ भावयत् ] ओ० २१ से २४,२६,४५,
५२,८२,१२०,१४०,१५७. रा० ८,६,६८६, ६८७, ६८६,६८,७११,७१३,७५२, ७५३,
७८७,७८६८१४,८१७
भावोमोदरिया [ भावावमोदरिका ] ओ० ३३ भास् [ भाष्] भासइ. ओ० ५२. रा० ६१ - भायेंति. जी० ३।२१०
भास (य) ( भाषक ] जी० ९ ६६
संत [ भाषमाण ] ओ० ६४. जी० ३।५६१ भाग [भाषक ] जी० ३।५६,५६,६१ भासमणपज्जत्ति | भाषा मनः पर्याप्ति ] रा० २७४, ७६७. जी० ३.४४०
भासय [भावक ] जी० ६/५७ भासरासि [ अरमराशि ] रा० १२४ भासा [ भाषा ] ओ० ७१. ० ६१,८०६,८१०
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