Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 783
________________ ७०६ मज्झमय-मणिजाल मज्झगय [ मध्यगत] रा० ७३२ मणपज्जवणाण मनःपर्यवज्ञान] ओ० ४०. मज्झछिण्णक [मध्यछिन्नक] ओ०० र ० ७३६,७४४,७४६ मज्झिम मध्यम] ओ० १६५।६. रा ० ४३,६६१. मणपज्जवणाणविणय [मनःपर्यवज्ञान विनय ] जी० ३७७,२३६,६५८,६८१,१०५५ ओ. ४० मज्झिमगेविज्ज [मध्यम वेय] जी० २।६६ मणपज्जवणाणि [मनःपर्यवज्ञानिन् ] ओ० २४. मज्झिमगेवेज्जा [मध्यमवेयक] जी० ३।१०५६, जी० १४१३३; &१५६,१६२,१६५,१६६, १६७,२०२,२०४,२०८ मज्झिमिय [मध्यमिक] जी. ३१२३५ से २३६, मणबलिय [मनोबलिक] ओ० २४ २४१ से २४३,२४६,२४७,२४६,२५०,२५४ मणविणय [ मनोविनय ] ओ० ४० से २५६,२५८,३४२,५६०,१०४० से १०४२, मणसमिय [ मनःसमित] ओ० १६४ १०४४,१०४६,१०४७१०४६ से १०५३,१०५५ मज्झिय [मध्यक] जी ० ३१५६७ मणहर [मनोहर] ओ०७,८,१०. रा० १७,१८, मज्झिल्ल [ मध्यम ] जी० ३१७२५,७२८ २०,३०४०,७८,१३२,१३५,१७३,२३६. मट्टिया [ मृत्तिका] ओ०६८. रा० ६,१२,२७६ से जी० ३।२७६,२८३,२८५,३०२,३०५ २८१ जी० ३।४४५,४४६,४४८ मणाभिराम [मनोभिराम] ओ०६८ मट्टियापाय [ मृत्तिकापात्र] ओ० १०५,१२८ मणाम [दे०] ओ०६८,११७. रा० ७५० से मट्ठ [मृष्ट] ओ० १२,१६,४७,७२, १६४. रा० २१, ७५३,७७४,७६६. जी० १।१३५; ३।१०६०, २३,३२,३४,३६,५२,५६,१२४,१४५,१५७, १०६६ २३१,२४७. जी० ३.२६१,२६६,२६६,३६३, मणामतराय दे] रा०२५ से ३१, ४५. ४०१,५६६,५६७. जी० ३।२७८ से २८४,६०१,६०२,८६०, मड [मृत] जी० ३,८४,६५ ८६६,८७२,८७८,६६० मडंब [मडम्ब ] ओ०६८,८६ से ६३,६५,६६,१५५, मणि मणि] ओ० २३,४७,४६,५२,६३,६४. १५८ से १६१,१६३,१६८. रा०६६७ रा० १७,१८,२४ से ३३,३७,४०,४५,५१,६५, मड्डय [दे० मड्डक] रा० ७७ ६६,७०,१३०,१३२,१३७,१५४,१६०,१७१, मण [मनस् ] ओ० २४,३७,४०,५७,६६,७० १७३,१७४,२०३,२२८,२३७,२५६,२६२, रा० ३०,४०,१३२,१३५,१७३,२२८,२३६, ६८७ से ६८६,६६५,८०४. जी० ३।२६५, ७६५,७७८,८१५. जी० ३।२६५,२८३,२८५, २७७ से २८६,३००,३०२,३०७,३०६ से ३०२,३०५,३८७,३९८,६७२ ३११,३३३,३३६,३६०,३६४,३७२,३७६, मणगुत्त [मनोगुप्त] ओ० २७,१५२,१६४. ३८७,३६६,४१२,४१७,४२१,४५७,५७८, रा० ८१३ ५८७,५८६,५९०,५९३,६०८,६४५,६४८, मणगुलिया [मनोगुलिका] जी० ३।४१२,४१६,४४५ ६५६,६७०,६७२,६६०,७५७ मणजोग [मनोयोग] ओ० ३७,१७५,१७७,१७८, १८२ मणि (पाय) [मणिपात्र] ओ० १०५,१२८ मणजोगि [मनोयोगिन् ] जी० ११३१,८७,१३३; मणि (बंधण) [मणिबन्धन ] ओ० १०६,१२६ ३।१०५,१५३,११०६; ११३ ११४,११७, मणिजाल [मणिजाल] रा० १६१. जी० ३१२६५, १२० ५६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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