Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 789
________________ ७१२ जी० ३।३०१ मदज्य [ महेन्द्रध्वज ] /०५२,५६,२३१ से २३३,२३६,२४७ से २४९, ३११,३१४,३४६, ३५४. जी० ३।३९३ से ३६५, ४०१, ४०६, ४१०,४१२,४७६, ४७६, ५१४,५१६,६००,६०१ महिच्छ | नहेच्छ ] ओ० ४६ हड्डि [.] ओ० ४० से ५१,७२,१७०. १० १८६ जी० ३।२५३, २५७,६५६, ७६५, ८०८, ८२६,८५७,८६०,८६३,८६६,८६६,८७३, ८७५,८७,६२५, १०२१ महिड्डियतराय [महर्दिकतरक ] रा० ७७२ महिड्डीय | मटक] रा० ६६६. जी० ३२८६, ३५.६, ६३७, ६६४,७००, ७२१,७२४, ७३८, ७४१,७४३,७४६,७६०, ७६३, ७६५,८१६, ८५४,८५५, ६२३, ६८८ से ६६७,१०२१, १११६ महिम [ महिमन् ] जी० ३।६१६ [मति ] रा० ३८,१६०,२२२,२५६. बी० ३।३१२,३३३, ३८१,८६४ महिय | महित ] ओ० २,५५. रा० १२.२८१. जी० ३।३७२, ४४७ महिया [हि] जी० १।६५, ३।६२६ महि | महीपतिपथ ] ओ० १ | | ०१, १४,१६,५१, १०१,१२४, १४१. र ० २७,६७१,७७४, ७६६. जी० ३१८४, २८०, ५६६,६१८, १०३८ महिसी [ महिषी | जी० ३।६१६ म | मधु ] ओ० ६२, ६३. जी० ३।५८६, ५६२ महुयर [ मधुकर ] ओ० ५७ महुयरी [ मधुकरी] ओ० ६. जी० ३।२७५ महासव | मध्वाश्रव] ओ० २४ महर मधुर] ०६,७१. ० १३,१४,१७,१८, २०,६१,७६,१७३. जी० ११५, ५०, ३।२२, ११८,११६,२७५, २८६, ५९७, ६३६, ८५७,८६३ महेला [ महेला ] जी० ३।५६७ Jain Education International मज्झिमाणणिज्ज मक्ख [ महेशाख्य ] जी० ३०६६,३५०, ७२१, १११६ महोरग [ महोरग] ओ० १२०,१६२. रा० १४१, १७३, १६२,६१८,७५२,७७१,७८६. जी ० १ १०५, १२१; ३ २६६, २८५, ३१८, ६२५ महोरगकंठ [ महोरगकण्ठ ] रा० १५५,२५८. जी० ३।३२८ महोरगकंग [ महागकण्डक ] जी० ३.४१६ महोरगी [ महोगी ] जी० २८ मा [ मा] ओ० ११७. रा० ६६५ माइय [ दे० ] ओ० ५,८,१०. रा० १४५. जी० ३।२६८.२७४ Sita [ मात्रिक ] ओ० १६. जी० ३। ५६६, ५६७ मारखिया [मातृरक्षिता ] ओ० ९२ माइल्लया | मायिता ] ओ० ७३ माउ [मातृ] ओ० १४. रा० ६७१ मागध [ मागध ] जी० ३:४४५ मागह [ मागध ] ओ० २,१११ से ११३. रा० २७६ मागच्छा [ मागधप्रेक्षा ] ओ० १०२, १२५. जी० ३.६१६ माग [ मागधक] अ० १३७,१३८ for [arathi] ओ० १४६. रा० ८०६ माघवती [ माघवती ] जी० २३४ माबिय | Histon ] ओ० १८,५२,६३. रा० ६८७, ६८८, ७०४, ७५४,७५६, ७६२, ७६४. जी० ३ ६०६ माण | मान] ओ० १५, २८, ३७,४४,७१, ६१, ११७, ११६,१४३, १६१,१६३,१६८. रा० ६७१ से ६७३,७४८ से ७५०,७७३,७६६,८०१,८१६. जी० ३।१२८, ४३८, ५६८,७६५,८४१ माणसा [ मानकषायिन् ] जी० ६ १४८, १४९, १५२, १५५ माणसाय | मानकषाय | जी० १।१६ माणणिज्ज [ माननीय] रा० २४०,२७६. जी० ३।४०२, ४४२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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