Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 709
________________ ६३२ जोतिसराय-झय ८६४, ८६७, ८७०, ६२४, ६४२, ६५२, ४४५, ५६६, ५६८ से ५७०, ५७७, ६३२, १००१, १००२, १००६ । ६३४, ६३८, ६३६, ६४२, ६४४,६५३,६५६, जोतिसराय [ज्योतीराज] जी० ३।२५७, २५८, ६६०,६६१, ६६३, ६६६,६६८, ६७१,६७८, १०२३ से १०२६ ६७६ ६८२, ६८३, ६८६ से ६८६, ७०६, जोतिसविसय [ज्योति विषय ] जी० ३।१००६ ७१०, ७१४, ७२३ से ७२८, ७३२, ७३६, जोतिसिंद [ज्यौतिरिन्द्र, ज्यौतिषेन्द्र ] जी० ३।२५७, ७३७, ७३६ से ७४२, ७४५, ७५०, ७५४, २५८, १०२३ से १०२६ ७५६, ७५८, ७६१, ७६२, ७६४ से ७७६, जोतिसिणी [ज्यौतिषी] जी० २११४६ ७८८ से ७६२, ७६४, ७६५, ७६८, ८०२, जोतिसिय [ज्योतिष्क, ज्योतिषिक] जी० २।९५, ८१२ ८१४, ८१५, ८२३, ८२७, ८३२, ९६, १४८, १४६; ३।२५७, ५६०, ७६३, ८३५, ८३८।२७, २८, ८३६, ८४२, ८४५, १०२५ ८५०, ८५२, ८८२,८८४, ८८५, ८८७, जोय [ योग] ओ० ६४. रा० ५१, ७६६. ८८८, ८६१, ८६३ से ८६५, ८६७ से १०१, जी० ३७०३; ६६६ ६०६, ६०७, ६१०, ६११,६१८, ६४०,६४४, १६६ से १७१, १००१ से १००६, १०१० से (जोय [योजय् ] —-जोइंसु. जी० ३७०३-- १०१२, १०३८, १०६५ से १०७०, १०७३, जोइस्संति. जी० ३१७०३-जोएइ. ओ०५६जोएस्संति. जी० ३७०३-जोयंति. ३१७०३। १०७४, १०८७. १०८८ जोयणय [योजनक] जी० ३।२२६, ६६३ जोयण [योजन ] ओ० ७१, १७०, १९२, १६५. जोयणिय [योजनिक] ओ० १६२ रा०६, १०, १२, १४, १७, १८, ३६, ५२, जोव्वण [यौवन ] ओ० ४७. रा०६६, ७०. ५६, ६१, ६५, १२४, १२६ से १२६, १३७, जा० ३१५६७ १७०, १८६, १८८, १८६, २०१, २०४ से जोव्वणग [यौवनक] रा०८०६, ८१० २१२, २१८, २२१, २२२, २२४, २२६, जोह [योध] ओ० २३, ५२, ५५ से ५७,६२,६५. २२७, २३०, २३१, २३३, २३८ से २४०, रा० १७३, ६८१, ६८७,६८८. जी० ३।२८५ २४२, २४४, २४६, २४७, २५१ से २५३, २६१, २६२, २६७, २७२,२७६, ७२७,७५३. झंझा [झञ्झा रा० ७७ जी० १।७४, ८६. १०१, १११, ११६, १२३, झंझावाय [झञ्झावात ] जी० १।८१ १३५; ३१५, १४ से २१, २५ से २७, ३३ से झड [दे० ] रा० ७८२ ३६, ३६ से ४३, ४७, ६० से ७२, ७७, ८० झय [ध्वज] ओ० २,१२,५५, ५७, ६५. रा० २२, से ८२, ८६, १२६७, २१७, २१६ से २२७, १६७, १७३, १७८, २०२, २०४ से २०८, २३२, २५७, २६० से २६३, २७३, २६८, २१४, २२०, २२३, २२६, २३२, २३४, ३००, ३०७, ३१०, ३५१, ३५२, ३५४, २४१, २४८, २५०, २५८, २५६,२६१,२७६, ३५५, ३५८, ३५६, ३६१, ३६२, ३६४, २८१,६८१, ७१५. जी० ३।२८५, २६०, ३६५, ३६८ से ३७४, ३७६, ३७७, ३८०, ३४८, ३५६, ३६७ से ३७१, ३७५, ३७६, ३८१, ३८३, ३८५, ३८६, ३६२, ३६३, ३८२, ३६१, ३६४, ४०३, ४१२,४१६,४२०, ३६५, ४०० से ४०२, ४०४, ४०६, ४०८, ४२४, ४३०,४३३, ४३६, ४४५,४४७,५८६ ४१२ से ४१४, ४२२, ४२५, ४२७,४३७, ५६७,६०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854