Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 729
________________ ६५२ दारग-दित्ततेय ५४७,५५०,५५२ से ५५४,५५७,५६३,५६६, ५६८ से ५७०,५६४,६४७,६७३,६७४,७०७ से ७११,७१३,७१४,७६६ से ८०२,८१३ से ८१५,८२४ से ८२७,८५१,८५२,८८५ से ८८८,६३९,६४०,६४४,६५५ दारग [दारक] ओ० १४२,१४४ से १४७, रा० ८००,८०२,८०४ से ८१० दारचेडा [द्वारचेटा] रा० १३०,२६४,२६६.२६८ २६६ जी० ३।३०० दारचेडी [द्वारचेटी] जी० ३।४५६,४६१ दारय [दारक] ओ० १४३,१४४,१४८, से १५० रा० १२,८०१,८०२,८०६,८११ जी० ३११८,११६ दारुइज्जपव्वय [दारुकीयपर्वत रा० १८१ दारुइज्जपव्वयग [दारुकीयपर्वतक] रा० १८० दारुपव्वयग [दारुपर्वतक] जी० ३।२६२ दारुपाय [दारुपात्र] ओ० १०५,१२८ दारुय [दारुक] आ०६४ दारुयाग [दारुकक] जी० ३।२८५ दारुयाय [दारुकक] रा०१७३,६०१ दालिम | दाडिम] ओ० १६ दास दास] ओ० १४,१४१. रा०६७१,७७४, ___७६६. जी० ३।६१०,६३१।२ दासी [दासी] ओ० १४,१४१. रा० ६७१,७७४, ७६६ दाह | दाह ] रा० ७६५. जी० २।१४०,३।११८, ११६,६२८ दाहिण [दक्षिण] ओ० २१,५४. रा० ८,१६,४०, ४३,४४,६६,१२४,१३२,१७०,१७३,२१०, २१२, २३५,२३६,२६२,६६१,६६४. जी० ३।२१७,२१६ से २२१,२६५,२८५,३४२, ३४५,३५८,३७३,३६७,३६८,४५७,५६२,५६६, ५६७,५६६,५७७,६४७,६६८,६५२,६८९ ६६२,६६५,६९६,७११,८८२,८८५,६०२, १०१५,१०३६ दाहिणपच्चत्थिम [दक्षिणाश्चात्य ] रा० ४३, ६६२. जी० ३।२२४,३४३,५६०,७५२ दाहिणपच्चथिमिल्ल [दक्षिणपाश्चात्य] जी० ३।२२०,६६४,६६५,६१८,६२१ दाहिणपुरस्थिम [दक्षिणपौरस्त्य | रा० ४३,६६०. जी० ३३४१,५६०,७५१ | दाहिणपुरथिमिल्ल [दक्षिणपौरस्त्य] रा० ५६ जी० ३२१६,२२३,६६२,६६३,६१८,६२० दाहिणवाय | दक्षिणवात ] जी० १८१ दाहिणहत्थ दक्षिणहस्त] ओ०६६ दाहिणिल्ल दाक्षिणात्य ] रा०४८,५७,२६४ से ३०५,३०६ से ३१२,३२०,३२१,३२५,३३४, ३३६,३४४,३५७,४१६,४७७,५३७,५६७. जी० ३।३३,३८,२१७,२१६ से २२३,२२५, २३४,२४४,२५०,२५३,४५६ से ४७०,४७४ से ४७७,४८५,४६०,४६५,४६८,५०४,५०६, ५२२,५२,५३६,५४३,५५०,६३२,६३६, ६६६,६७३,६६३,६६४,६१४ दिलैंतिय [दार्दान्तिक] रा० ११७,२८१. जी० ३।४४७ दिदुलाभिय दृष्टलाभिक ओ० ३४ दिट्टि [दृष्टि रा० ७४८ से ७५०,७७३. जी०११४,६६,१०१,११६,१२८,१३३,१३६; ३।१२७,१६० दिट्ठिय दृष्टिक] रा० ७६५ दिट्टिवाय दृष्टिाद] रा० ७४२ दिणयर दिनक] ओ० २२. रा० ७२३,७७७, ७७८,७८८. जी० ३८३८।१२,१३,२६ दिण्ण दत्त ओ०२,१७,५५,१११ से ११३, १३७,१३८. रा० १५,३२,२८१,७८७,७८८. जी०३४८७ दित्त [दृप्त, बाप्त ] ओ० १४,१४१. रा० ६७१, ६७५,७६१ दित्त | दीप्त ओ०६३,६५ जी० ३१८३८१२६ दित्ततव [वीप्ततपस्] ओ० ८२ दित्ततेय दीप्ततेजस्] ओ० २७. रा० ८१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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