Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पहरणकोस-पाणाइवाय
६८३ पहरणकोस [प्रहरण कोश ] रा०२४६,३५५. पाउब्भवमाण [प्रादुर्भवत् ] रा० १७ जी० ३.४१०,५२०
पाउन्भूय [प्रादुर्भूत] ओ० ७६ से८१. रा० ६१, पहरणरयण [प्रहरण रत्न रा० २४६,३५५.
१२०,६६४,६६७,७१७,७२२,७७७,७८७,७६५ जी० ३।४१०,५२०
पाउया [पादुका] ओ० २१,५४,६४. रा० ५१, पहसित [प्रहसित ] जी० ३।३०७,३६४,६३४,६३६,
७१४ १००८
पाओवगमण [प्रायोपगमन] ओ० ३२ पहसिय प्रहसित] रा० १३७,१८६. जी० ३।३५५, पाओवगय [प्रायोपगत ओ०११७ ३५९,३६८ से ३७१,५८६,६७३
पागडभाव [प्रकट भाव] ओ० २७. रा०८१३ पहा [प्रभा] ओ० १२,२२. ला० १५४.
पागडिय [प्रकटित ] ओ० ५०,५१ जी० ३१५८६
पागय [प्राकृत] जी० ३।८३८।३ पहाण [प्रधान] ओ० २३,२५,१४६. ग०६८६,
पागसासण [पाकशासन] जी० ३।१०३६ ८०६,८०७. जी० ३६५६२,५६७
पागार [प्राकार] ओ० १. रा० १२७,१२८,१७०, पहार [प्र+धारय् ]-पहारेजा. ओ० ४०.
६५४,६५५. जी० ३१३५२, ३५३,३५८, ____-'महारेत्थ. ६५,२८८. जी० ३।४५४
५५४,५६४ पहाविय [प्रधावित] ओ० ४६
पाड [पातम्] ---पाडेइ. रा० ७६५ पहिट्ठ [प्रहृष्ट] ओ० ५१
पाडंतिय [प्रात्यान्तिक] रा० ११७,२८१ पहिय [पथिक] रा० ७८७,७८८
पाडलि [पाटलि] ओ० ३०. जी० ३१२८३ पहियकित्ति [प्रथितकीति ] ओ०६५
पाडिसुय [प्रतिश्रुत] जी० ३।४४७ पहीण [प्रहीण] ओ०७२
पाडियक्क [प्रत्येक ] ओ० ५५,५८,६२,७० पहु [प्रभु] ओ० ११६. रा० ७६१
पाडिहारिय [प्रातिहारिक] ओ० १२०,१६२. पहेलिया [प्रहेलिका] ओ० १४६. रा०८०६
रा० ७०४,७०६,७११,७१३,७७६ पाई [पात्री] रा० २५८,२७६
पाडिहेर [प्रातिहार्य ] ओ० २ पाईण [प्राचीन] रा० १२४. जी० ३।५७७,६३६, पाण [पान] ओ० १४,११७,१२०,१४१,१४७, १०३६
१४६,१५०,१६२. रा०६७१,६८६,७०४, पाईणवात [प्राचीनवात ] जी० ११८१
७१६,७५२,७६५,७७४,७७६,७८७,७८६, पाईणवाय [प्राचीनवात] जी० ३।६२६
७६४,७६७,७६६,८०२,८०८,८१०,८११ पाउ [प्रादुस्] ओ० २२. रा० ७२३,७७७,७७८,
पाण [प्राण] ओ० ८७,१६१,१६३. जी० ३११२७, ७८८
६७५,१०२८,११३० पाउग्ग प्रायोग्य] रा०६६६
पाणक्खय [प्राणक्षय] जी० ३।६२६,६२८ पाउण [प्र+आप ].-पाउणइ. ओ०१८२.
पाणत [प्राणत] जी० ३३१०७६,१०८८ -पाउणंति. ओ०६४...-पाउणिहिति.
पाणय [प्राणत] ओ० ५१,१६२. जी० ३३१०३८, ओ० १४०. रा० ८१६ ।।
१०५३,१०६६,१०६८ पाउणित्ता [प्राप्य ] ० ६४. रा० ८१६
पाण विहि [पानविधि] ओ० १४६. रा० ८०६ 1 पाउब्भव [प्रादुस्--भू-पाउन्भवति.
पाणाइवाय प्राणातिपात] ओ०७१,७६,७७, रा० १६--पाउन्भह. रा०१३
११७,१२१,१६१,१६३. रा० ६६३,७१७, -पाउभवित्था. ओ०४७
७६६
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