Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 772
________________ बहु-बाणउत बहु [ब] ओ० १४,२३,५२, ६३,६४,६८,७०,६१, ६२,६४,११४,११७, १४०, १४१, १५४, १५५, १५७ से १६०,१६२,१६५, १६६, १६५. रा० ७. १५,५१,५६,५८,१२४, १७४, १८१, १८३, १६५, २४०,२७६,२८२,२६१,६५७,६७१,६७५, ६८३,६८,७१८, ७५२, ७७४, ७८७ से ७८६ ७६६,८०३,८०४, १६. जी० ३।१११, ११८, ११६,२५६, २६६,२८६,२३, २६५,३८८, ३६०, ४०२, ४४२, ४४८, ४५७, ५५७,५६३, ५६६,५८४ से ५६५, ६३७, ६५६, ७२१, ७३८, ७४३,७५०,७६०,७६३, ८५७,८६३, ८६६, ८७५,६०१, ६१७, ६६५, १०२५, १०३८ बहुउदग [ बहूदक ] ओ० ६६ बहुगुणतर [ बहुगुणतर] रा० ७१८ बहुजण | बहुजन ] ० २,१४,५२, ११८, १४९. रा० ६७१, ६७५,६८७ बहुतरक | बहुतरक ] जी० ३।१०१ बहुतरग [ बहुतरक | जी० ३।६६,११३,११४ बदोस [ बहुदोष ] ओ० ४३ बहुप | बहुप्रतिपूर्ण | ओ० १४३. रा० १५१, १५२,८०१. जी० ३।३२४, ३२५ बहुपुरिसपरंपरागय [ बहुपुरुषपरम्परागत ] रा० ७७३ बहुप्पकार [बहुप्रकार ] जी० ३१५६५ बहुपगार [ बहुप्रकार ] जी० ३३५८६ से ५८८, ५.६३ बहुपसन्न [ बहुप्रसन्न ] ओ० १११ से ११३, १३७,१३८ बहुबीय | बहुबीज ] जी० १७०, ७२ बहुवीय [ बहुबीजक ] जी० ११७२ बहुमज्झ [ बहुमध्य ] ओ० ८,१६२. रा० ३,३२, ३५,३६,३६,६६, १२५, १६४,१८६.१८८, २०४, २१७.२१८,२२७,२३८,२५२,२६१, २६३, २६५,३००, ३२१,३२६,३३३,३३८,३५६, ४१५,४७६,५३६,५६६,७३५, ७७२. जी० Jain Education International ३।२६३, ३१०, ३१३,३१८,३३८,३५६, ३५६, ३६१,३६४,३६५, ३६८, ३६६, ३७७, ३८६, ४००,४१३,४२२,४२७, ४६०, ४६५, ४८६, ४६१, ४६८,५०३,५२१, ५२७, ५३५, ५४२,५४६, ५५४,६३४,६३६,६४२, ६४६, ६४९,६६३, ६६८,६७१ से ६७३, ६७६,६८५, ६६१,७३७, ७५६, ७५८, ७६२,८३१,८८२, ८८४,८८७, ८६१,६०६,६११,६१३,६१८, १०३६ बहुम [ बहुमत ] ओ० ११७. रा० ७५० से ७५३, ७६६ हुमाण [ बहुमान ] ओ० १४,४०. रा० ६७१ बहु [ बहु] ओ० १७१. रा० १९७. बहुर बहु ६६५ जी० ११७२, १४३, २०६५ से ७२,६५,६६, १३४ से १३८, १४१ से १४६ ३ | ४०२, ५७६, १०२५,१०३७,१०३८, ४१६, २२, २५ ५।१६, २०,२६,२७,३२ से ३६, ५२, ५६, ६०, ७२०, २२,२३; ६१७,१४,५५,२५० से २५३,२५५, २८६ से २६७ [बहुरत ] ओ० १६० [ बहुल ] ओ० १,७,८,१०,४६,४६. रा० ६७१. जी० ३।११८,११६,२३६,२७५, २७६ बहुविह [ बहुविध ] ओ० १६५।१६ बहुसम [ बहुसम ] रा० २४, ३२, ३३,३५,६५,६६, १२४,१७१,१८६ से १८८, २०३, २०४,२१७, २३७,२३८,२६१. जी० ३।२१८, २५७, २७७, ३०, ३१०,३३६, ३५६ से ३६१,३६४, ३६५, ३६८, ३६६, ३७२,३६६, ४००, ४२२,४२७, ५८०,६२३,६३३,६३४,६४५,६४६,६४८, ६४६, ६५६, ६६२,६६३,६७०,६७१,६७३, ६६०,६ε१,७३७,७५५ से ७५८, ७६८,८८३, ८८४८०, ६०५, ६०६, १२, १३, १००३, १०३८, १०३६ बाण [] ० ३६. जी० ३।२७६ बाणउति [ द्वावति] जी० ३३८१५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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