Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पलिच्छन्न-पबीइय
पलिच्छन्न [परिच्छन्न] ओ०६. जी० ३१२७५ पवला इया [दे०] जी० २६ पलित्त [प्रदीप्त ] जी० ३१५८६
पवहण [प्रवहण] ओ० १००,१२३ पलिय [पलित] जी० ३।५६७
पवा [प्रपा] ओ० ३७ रा० १२ पलियंक [पर्यङ्क] रा० २२५. जी० ३।३८४ पवाइय [प्रवादित] ओ० ६७,६८. रा० १३,६५७. पलिह [परिघ ] ओ० १६
जी० ३।३५०,५६३,१०२५ पिलीव [प्र-+ दीपय]-..पलीवेज्जा. रा० ७७२
पवादित प्रवादित] रा०८४२,८४५.जी० ३।४४६ पल्लंघ [प्र+लंघ]--पल्लंघज्ज. ओ० १८०
पवादिय [प्रवादित] रा० ७ पल्लंघण [प्रलङ्कन] ओ० ४०
Vपवाय [प्र+वादय]-पवाएंसु. रा० ७५ पल्लग [पल्यक] जी० ३।६११
पवाल [प्रवाल] ओ० ५,८,१६,२३,४७. रा० २७, पल्लत्यमुह [पर्यस्त मुख रा० ७६५
२२८.६६५. जी० ११७१,२७४,२८०,३८७, पल्लव [पल्लव] ओ० ५,८. रा० १३६,२२८.
५६६,६०८,६७२ जी० ३।२७४,३०६,३८७,६७२
पवालमंत [प्रवल बत् ] ओ० ५,८. जी०३१२७४ पल्लवपविभत्ति [पल्लवप्रविभक्ति] रा० १०० पविइण्ण [प्रविकीर्ण ] ओ०१ पल्हविया [पह्लाविका] ओ० ७०. रा० ८०४ पविक्खरमाण [प्रविकिरत] जी० ३।११८ पल्हायणिज्ज [प्रह्लादनीय] ओ० ६३ पविचरित [प्रविचरित] रा० १७४ पवंच [प्रपञ्च] ओ० १६५ |
पविचरिय [प्रविचरित] जी० ३।२८६,६३६ पवंचेमाण [प्रपञ्चयत् ] जी० ३।२३६ पविट्ठ [प्रविष्ट] ओ० ६४. जी० ३।५५,७८ पवग [प्लवक] ओ० १,२
पविणो [प्र+वि-नी] —पविणेज्जा. जी. पवगपेच्छा [प्लवकप्रेक्षा] ओ० १०२,१२५. जी० ___३३११८ । __३।६१६
पवित्तय [पवित्रक] ओ० १०८,११७,१३१ पवण [पवन] ओ० ४८,५७
पवित्ति [प्रवृत्ति ] ओ० १६,१७ पवण [प्लवन] रा० १२,७५८,७५९. जी० ३.११८ पवित्तिवाउय [प्रवृत्तिव्यापृत, प्रवृत्तिवादुक] ओ० पवत्त [प्रवृत्त] रा० १८,७८,८०,८२,११२ जी० १६,१७,२०,२१,५३,५४ ३१४४७
पवित्थरमाण [प्रविस्तरत्] जी० ३।२५६ पिवत्त [प्र-वर्तय]-पवत्तेइ. रा० ६७१
पविद्धत्थ [प्रविध्वस्त] जी० ३।११८, ११६ पवत्तेति. रा० ७५० ---पवत्तेमि. रा० ७५०. पविमोयण [प्रविमोचन] ओ०७,८,१० पवत्तेहि. रा० ७५०
पवियरितए [प्रविचरितुम्] रा० ७३२,७३७ पवत्तय [प्रवर्तक] रा० ६७१
पविरल [प्रविरल] रा० ६,१२,२८१,७६०,७६१. पवत्ताय [प्रवृत्तक] जी० ३।२८५
___ जी० ३।४४७,५९१ पवयणणिण्हग [प्रवचननिह्नवक] ओ० १६० पविराय [दे०प्रस्फुटित] जी० ३।११८,११६ पवर [प्रवर] ओ० २,२०,४७, से ५३,५५ से ५७, पविलीण [प्रविलीन] जी० ३।११८,११६ ६३से६५,७२. रा० ६,१२,३२,५१,१३०,१३२, सपा
पिविस [प्र+विश्] —पविसइ. रा० ७६६. २३६,२८१,२६२,६८५,६८७६८६,६६२, ___--पविसामो. रा० ७६५ ७००,७१६,७२६,८०२. जी० ३।३००,३०२, पविसंत [प्रविशत् ] जी० ३।८३८।१४ ३७२,३६८,४४७,४५७,५६७,११२२ पवीइय [प्रवीजित] ओ० ६७
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