Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 658
________________ उण्णाम-उद ५८१ उण्णाम[उद्-नामय]---उण्णामिज्जइ. उत्तरपुरथिम [उत्तरपौरस्त्य] ओ० २. रा० २, जी० ३।७२६ १०,१२,१८,४१,५६,६५,२०६,२४६,२५१, उण्ड [उष्ण] ओ० ११७. रा० ७२८,७६६. २६०,२६२,२६५,२६७,२६६,२७२,२७३, जी० ३।११८,११६ २७६,६५८,६७०,६७८. जी० ३।३३६,३७२, उत्तप्प [उत्तप्त] रा० ७३२,७३७ ४०८,४१२,४२१,४२५,४२६,४३१,४३४, उत्तम [उत्तम] ओ० २३,५१. रा० २६२. ४३७,४३८,४४५,५५८,६३५,६५७,६६८, जी० ३।४५७,५६२,५९६ से ५६८ ६८०,६८३,७५० उत्तमंग [उत्तमाङ्ग] जी० ३।५६६ उत्तरपुरथिमिल्ल [उत्तरपौरस्त्य] जी० ३।२१७, उत्तर [उत्तर] ओ० २१. रा० १६,४०,४१,४४. २२२,५५६,६८६,६६८,६१८,९१६. १३२,१७०,१७३,२१०,२१२,२३५,२३६, उत्तरमंदा [उत्तरमन्द्रा, उत्तरमन्दा] रा० १७३. ६५८,६६४,६८५,७६५,८०२. जी० २।४८; जी० ३१२८५ ३५.२२,२७,६३,६६ से ७२,७७,२२६,२२७, उत्तरवेउव्विय [उत्तरवैक्रिय ] रा० १०,४७. २३२,२५७.२६५,२८५,३३६,३४५.३५८, जी० श६४,६६,१३५,१३६, ३।९१,९३,४४६, ३७३,३६७,३६८,५५८,५६२,५६६,५६६, १०८७,१०८८,१०६१,११२१,११२२ ५७७,५६५,५६७,६०१,६६५,६३८,६३६, उत्तरागार [उत्तराकार] रा० १६५ ६४७,६५७,६६०,६६१,६६५,६६६,६७३, उत्तरासंग [उत्तरासङ्ग] ओ० २१,५४. रा० ८, ६८०, ६८२,६८६,६६२,६६५,६६६,७०१, ५ .७०१. ७१४ ७११,७१३,७२२,७३६,७४५,७४७,८१२, ३६.७४५.७४७.८१२, उत्तरासंगकरण [उत्तरासङ्गकरण] ओ०६६. ८३९,८८२,८८५,६०२,१००४,१००६,१०१५ रा० ७७८ उत्तरंग [उत्तरङ्ग] रा० १३०. जी० ३।३०० उत्तरिज्ज [उत्तरीय] ओ० ६३ उत्तरकुरा [उत्तरकुरु] जी० २।१३; ३१५७८, से उत्तरित्तए [उत्तरीतुम्] ओ० १२२ ५९७,६०५ से ६२८,६३१,६३२,६३६,६६६, उत्तरिल्ल [औदीच्य औत्तराह] रा०४८,५६, ६६८,७०२ ५७,२६७,३०२,३०७,३१३ से ३१६,३१८, ३२१ से ३३१,३३६,३४१ ३४६,३७६,३६४, उत्तरकुरा [उत्तरकुरा] जी० ३।६१६६३७ उत्तरकुरु [उत्तरकुरु] जी० २३३,६०,७०,७२, ४३५, ४५३,४६६,५१४,५५६,५७४,६१६, १६,१३७,१३८,१४७,१४९, ३३२१८,२२८, ६३४. जी० ३१३३,३६,३८,२२७,२४०,२४८, ७६५ २५०,२५६,४६२,४६७,४७२ ४७८ से ४८१, उत्तरकुरुद्दह [उत्तरकुरुद्रह ] जी० ३।६६६ ४८३,४८६ से ४६६,५०१,५०६,५११,५२३, उत्तरकूलग [उतरकूलक] ओ० ६४ ५२४,५२६,५३०,५३७,५३८,५४४,५४५, उत्तरतर [उत्तरतर] ओ० ७६ से ८१ ५५१,५५२,६७३,६६७,६६८,६१६ उत्तरपच्चत्थिम [उत्तरपाश्चात्य ] जी० ३।२२५, उत्ताणग [उत्तानक] ओ०१ ६८८,७५३ उत्ताणयछत्त [उत्तानकछत्र] ओ० १६४ उत्तरपच्चथिमिल्ल [उत्तरपाश्चात्य ] जी० ३।२२१, उत्तालिज्जत [उत्ताड्यमान] रा० ७७ ६६६,६६७,६१८,६२२ उत्तासणय [उत्तासनक] जी० ३१८३ उत्तरपासग [उत्तरपार्वक] रा० १३० उत्तिमंग [उत्तमाङ्ग] ओ० १६. जी० ३१५६७ उत्तरपासय [उत्तरपार्श्वक] जी० ३१३०० उद [उद ] जी० ३।२८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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