Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 633
________________ अणुवेलंधर-अति अणुवेलंधर [अनुवेलन्धर] जी० ३१७४७ से ७५० अणुव्वय [अणुव्रत ] ओ० ७७ अणुसज्ज [अनु-+ सङ्ग्] -अणुसज्जति ___ अणोवमा (दे) खाद्यविशेष अणुसज्जणा [अनुसज्जना] जी० ३।२१८,६३१ अणुसार [अनुसार जी० ३१७७ अणुहो [अनु+भू]--अणुहोंति ओ० १६५।२१ अणूण [अनून] जी० ३१८३८।२७ अणेग [अनेक ] ओ० १,५ से ८,१०,१६,४६,६३, ७१,१६५. रा० ७,१७,१८,२४,३२,५२,५६, ६१,६६,१७४,२०६,२११,२३१,२४७,७५४, ७५६,७६२,७६४. जी० ३।११८,११६,२५६, २७४ से २७७,२८६,३७२,३७४,३६३,५८१, ५८५ से ५६६,६३६,६४६,६७३,६७४,७५६, ८८४,८५८ अणेगजीव [अनेकजीव] जी० १७१ अणेगवासपरियाय [अनेकवर्षपर्याय ] ओ० २३ अणेगविध [अनेकविध] जी० २।१०३ ।। अणेगविह अनेकविध] ओ० ३२ से ३६. जी० १९,६५,७१ से ७३,७८,८१,८४,८८, ८६,१०७,१०८,११२,११४,११५, २६ अणेगसिद्ध [अनेकसिद्ध] जी० ११८ अणोगाढ [अन वगाढ] जी० ११४२ अणोग्यसिय [अनवघर्षित] जी० ३।३२२ अणोवम [अनुपम] ओ० १६५।१७,२२. अणोवमा [दे०] खाद्यविशेष जी० ३।६०१ अणोवाहणग [अनुपानत्क] ओ० १५४,१६५,१६६ अण्ण [अन्य] ओ० १७,२३,५२,७६ से ८१. रा० ४०,५६,५८,१३२,१८५.२०५ से २०८, २४०,२७६,२८०,२८२,२८६,२६१,६५७, ६८७,६८८,७०४,७४८ से ७६४,७७१ से ७७३,८०३,८०४. जी० ११५०,६५,७१ से ७३,७८,८१,८४,८८,१००,१०३,१११,११२, ११४ से ११६,११८,१२१, ३।२६७,३०२, ३१३,३५०,३५१,३६८ से ३७१,३८८,३६०, ४०२,४४२,४४६,४४८,४५५,४५७,५५७, ५६३,५६६,६३७,६३८,६५२,६५८ से ६६०, ६६५,६६६,६७६,७१०,७१३,७२१,७३६, ७४७,७६०,७६१,७६३ से ७६६,७६८,७७० से ७७४,८००,८१४,८४३,८४६,६१७,१०२५ अण्ण [अन्त] ओ० १४६,१५०. रा०८१०,८११ अण्णउत्थिय [अन्ययूथिक ] ओ० १३६. ___जी० ३१२१०,२११ अण्णगिलायय [अन्नग्लायक] ओ० ३४ अण्णजीविय [अन्य जीविक] रा० ७३३,७३४,७३६ अण्णत्त [अन्यत्व] रा० ७६२,७६३ अण्णत्य [अन्यत्र] ओ० ८६. जी० ३१७२१ अण्णमण्ण [अन्योन्य ] ओ० ५२,११७,११८. रा० १६,४०,१३२,१३३,६८७,७१३,७७४. जी० ३।२२,२७,११०,१११,२६५,३०३,६२०, ६२५,८४५ अण्णयर [अन्यतर] ओ० २८,७२,८६ से ६३, १०५,१०६,१२८,१२६,१८६. रा० ७५० से ७५३,७६६. जी० ११३३; ३१२३६ अण्णया [अन्यदा] ओ० ११६. रा०६८० अण्णलिंगसिद्ध [अन्यलिङ्गसिद्ध] जी०१८ अण्णविहि [अन्नविधि ] ओ० १४६ अण्णाण [अज्ञान] ओ० ४६. जी० १११०१,१२८% ३१५२ अण्णाणवोस [अज्ञानदोष ] ओ० ४३ अण्णाणि [अज्ञानिन्] जी० १३०,८७,६६,११६, १३३,१३६, ३।१०४,१५२,११०७,११०८% ६।३०,३२,३५,१४३,१५६,१६४ से १६६ अण्णाणिय [अज्ञानिक | जी०६।३४ अण्णायचरय [अज्ञातचरक] ओ० ३४ अण्णोण्ण [अन्योन्य] ओ० १६५९ अण्ह [आ+स्नु]-अण्हाइ ओ०८४ अण्हयकर (आस्नवकर] ओ० ४० अण्हाणग [अस्नानक ] ओ० ८६,६२. रा० ८१६ अण्हाणय [अस्नानक] औ० १५४,१६५,१६६ अति [अयि] रा० १२१,६६८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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