Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
अलेस्स-अवसेस
५६५
अलेस्स [अलेश्य] जी० ६।१८५,१६२,१६६ अलोग [अलोक] ओ० १६०२ अलोय [अलोक] ओ० ७१ अलोह [अलोभ ] ओ० १६८ अल्लई [आर्द्रकी] जी० ३।२८१ अल्लकी [आर्द्रकी] रा० २८ अल्लीण [आलीन ] ओ० १६,६१ रा० ८०४. ।
जी० ३१५६६ से ५६८,७६५,८४१ अल्लीणया [आलीनता] ओ० ११६ अवउडग [दे० अवकोटक] रा० ७५४,७५६,७६४ अवंक [अवक्र] रा० ७६,१७३. जी० ३।२८५ अवंग [अपाङ्ग] रा० १३३. जी० ३।३०३ अवंगुयदुवार [दे० अपावृतद्वार] ओ० १६२.
रा० ६६८,७५२,७८६ अवक्कम [अप-क्रम् -अवक्कमति रा० १०.
जी० ३१८७-अवक्कमति रा०१८ अवक्कमित्ता [अपक्रम्य] रा०. १० जी० ३।४४५ अवक्खेवण [अवक्षेपण] ओ० १८० अवगय [अपगत] ओ० ६३ अवगाढ [अवगाढ] रा० ७७४ अवज्क्षाणायरिय [अपध्यानाचरित] ओ० १३६ ।। अवट्टित [अवस्थित] जी ० ३।५६५९६ अवट्रिय [अवस्थित] ओ० १६. रा० २०० जी०
३।२७३, ३५०, ७६०, ८३८।११ अवड [अपार्ध] जी० २०६५, ८८,१३२;
३१८३६; ६।२३,२६,३३,६६,७१,७३,७८,
१४६, १६४, १६५, १७८, २०२, २०४ अवड्डोमोदरिय [अपाविमोदरिक, उपार्धा०]
ओ०३३ अवणद्ध [अवनद्ध रा० ७६०, ७६१ ‘अवणी [अप+नी]-अवणेमो रा०७२६ अवणीत [अपनीत ] जी० ३१८७८ अवणीयउवणीयचरय [अपनीत उपनीतचरक]
ओ० ३४ अवणीयचरय [अपनीतचरक] ओ० ३४
अवणेमाण [अपनयत् रा० ७३२ अवण्णकारग [अवर्णकारक] ओ० १५४ अवतासिज्जमाण [अपत्रास्यमान] रा०८०४
अववाल [अव+दलय] ----अवदालेइ ओ०१७० अवदालिय [अवदालित] ओ०१६ अवदालेत्ता [अवदल्य ] ओ० १७० अवधिणाणि ]अवधिज्ञानिन् ] जी० ३३१०४,११०७ अवमाण [अपमान ] रा० ८१६ अवमाणण [अपमानन] ओ०४६ अवयंसग [अवतंसक] रा० १७३, ६८१ ।। अवर [अपर] रा० ४०, १३२, १६३, १६६
जी० ३।२६५, २८५, ३५८, ५६५ अवरज्म [अप्+राध्] - अवरज्झइ रा० ७६७ अवरण्ह [अपराह] रा० ६८५ अवरत्त ] अपरात्र] रा० १७३ अवरविदेह [अपरविदेह ] जी० २।२६,५६,७०,
७२,८५,६६,११५,१२३,१३७, १३८, १४७,
१४६;३१४४५, ७६५ अवरविदेहक [अपरविदेहक] जी० २।१३२ अवरविदेहिया [अपर विदेहिका] जी० २१६५ अवराहि [अपराधिन्] रा० ७५१ अवरुत्तर [अपरोत्तर] रा० ४१,६५८.
जी० ३१३३६,५५८,६३५,६५७,६८० अवलंबण [अवलम्बन] रा० १६, १७५.
जी० ३।२८७, ८६० अवलंबणबाहा [अवलम्बनबाहु] रा० १६,१७५.
जी० ३।२८७ अवलद्ध [अपलब्ध] ओ० १५४,१६५,१६६.
रा० ८१६ अवलि [अवलि] रा० २६ जी० ३१२८२ अवलिया [अवलिका] रा० २५ जी० ३१२७८ अवव [ अवव] जी० ३८४१ अवसाण [अवसान] ओ० ६३ अवसेस [अवशेष[ ओ० ५२, ७६, १६७ रा०
४८, ५७, १६४ जी०११५६, ६७; ३।२५०, ३४५, ३५६, ६३०, ६६४, ६६५, १०२६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854