Book Title: Uvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 653
________________ आसालिय-इंदाभिसेग आसालिय [आशालिक] जी० १।१०५, ११०, आहारसण्णा [आहारसंज्ञा] जी० ११२०,१३२; १३३,२।१०५ ३।१२८ आसित्त [आसिक्त] ओ० ५५, ६० से ६२ आहारित्ता [आहार्य] जी० ३।६०३ आसिय [आसिक्त] रा० २८१. जी० ३।४४७ आहारेत्तए [आहर्तुम् ] ओ०६३ आसीत [अशीति ] जी० ३१५ आहारेमाण [आहरत् ] ओ० ३३. रा० ७६५ आसीविस [आसीविष] जी० १३१०७ आहाव [आ+धाव्]-आहावति रा०२८१ V आह [ब्रू]-आहंसु जी० १।१० आहिय [आख्यात] जी० ३।८३८।३ ___ आहिज्जति जी० ११० आहु [आहोत] ओ० २ आहत [आहत] जी०३१८४५ आहुणिज्ज [आहवनीय] ओ०२ आहम्मत [आहन्यमान] रा० ७७ आहुणिय [आहत्य] रा०६ प्राहय [आहत] ओ० ६८ आहेवच्च [आधिपत्य] ओ० ६८. रा० २८२. आहर [आ+ह]---आहरेइ ओ०११८ जी० ३।३५०,३५६,४४८,५६३,६३७,६५६, आहरण [आभरण] ओ० ४६. रा०६८८ ७६०,७६३ आहाकम्मिय [आधार्मिक] ओ० १३४ आहार [आहार] ओ०३३,७३,६२,११७ से ११६. रा० ७३२,७३७,७७२,७६६. जी०१।१४,३३, इ [चित्] ओ०७४।४ ५०,५६,६५,८२,८७,६६,१०१,११६,१३३, इ [इति] जी० ३६५ १३६, ३६७,१२७,१२६,५६६,६००,६०३, इि [इ]-एति जी० ३।१७६-एह रा० ७२३ ६३१६६६ इइ [इति] रा० २४ आहार [आधार] रा० ६७५ इओ [इतस्] ओ० ८८ आहार [आ-हारय]--आहारेइ रा० ७३२-- इंगाल [अङ्गार] रा० ४५. जी० ११७८,३।८५, आहारेति रा० ७०३. जी०१।३३ ११८ आहारअपज्जत्ति [आहारापर्याप्ति ] जी० १२७ इंगालसोल्लिय [अङ्गारपक्व] ओ० ६४ आहारग आहारक] जी०६।३८ से ४०,४६, इंगिय [इङ्गित] ओ० ७०. रा० ८०४ ५०,५५ इंद [इन्द्र ] ओ०६८. रा० २८२. जी० ३।४४८, आहारगमीसासरीर [ आहार कमिश्रक शीर] ओ० ७५५,८४३,८४६,८४७,६३७,१०४८ इंदकील [इन्द्रकील] ओ० १. रा० १३० इंदखील [इन्द्रकील] जी० ३।३०० आहारगसरीर [आहारकशरीर] ओ० १७६ जी० । इंदगोव [इन्द्रगोप] रा० २७ ६।१७८ इंदगोवय [इन्द्रगोपक] जी० ३।२८० आहारगसरीरि [आहारकशरीरिन् ] जी० ६।१७०, इंदग्गह [इन्द्रग्रह] जी० ३१६२८ १७३,१८१ इंवट्ठाण | इन्द्रस्थान] जी०३१८४४,८४७ आहारत्त [आ हा रत्व] जी० ३।११०० इंदषण [इन्द्रधनुष ) जी० ३।६२६,८४१ आहारपज्जत्ति आहारपर्याप्ति ] रा० २७४,७९७ इंदभूइ [इन्द्रभूति ] ओ० ८२ जी० १२६, ३।४४० इंदमह [इन्द्रमह] रा०६८८,६८६ जी० ३१६१५ आहारभूय [आधारभूत ] रा० ६७५ इंदाभिसेग [इन्द्राभिषेक] रा० २८२,२८३. आहारय [आहारक] जी० ६।३६,४१ जी० ३।४४६,४४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854