Book Title: Syadvad Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia View full book textPage 9
________________ कालकल्पतरु [ लेखक - शङ्करलाल डाह्याभाई कापडीया बम्बई ] “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ...११ जब जब धर्म की ग्लानि होती है; मनुष्यों के ऊपर दुःख के बादल घिर आते हैं, तब तब किसी महापुरुष का जन्म होता है । गीता का यह सूत्र सुप्रसिद्ध है । T जैन समाज का सकल श्रावक-श्राविका क्षेत्र जब तुम की परम्परा के अन्तर्गत हुआ, तब उनके कृषलने के के लिये दुःख में हिस्सा इंटाने के लिये ही अपने पंजाब केसरी' का जन्म हुआ था यदि ऐसा कहा जाय तो भी कोई अतिशयोकि न होगी । उनके द्वारा पंजाब में किये गये समूजोहार के अरणित कार्यों तथा बम्बई में किये गये कार्यों को देखने पर इसे कथन की यथार्थता की प्रतीति होती है । बम्बई में किये गये सामाजिक प्रगति के कार्यों को सिंहावलोकन करने के बाद यह कहे बिना नहीं रहा जा सकता कि इस महापुरुष का जन्म समाज के महापुण्य प्रताप से ही हुआ है । समाज का सद्भाग्य है कि वे समाज के लिये भगीरथ प्रयत्न कर रहे हैं । इन्हीं सब कारणों से समाज उनको 'युगवीर' के उपनाम से सम्बोधित करता है । पूज्य श्री ने युवावस्था में तो अथक परिश्रम द्वारा समाज सेवा तथा शासन अभिवृद्धि के अनेक कार्य किये ही हैं; पर इस वृद्धावस्था में भी जबकि उनकी शारीरिक स्थिति कमजोर हो गई है, वे दिन रात तल्लीन होकर प्रयास करते हैं, यह देख कर किसकी में हर्ष के आंसू न आ जाते होंगे ।Page Navigation
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