Book Title: Syadvad
Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia

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Page 33
________________ [ १४ ] मेरा क्या होने वाला है ? इत्यादि बातों का विचार कर *"मधु बिन्दु' का उदाहरण दृष्टि-पथ में रख ! तू अपनी आत्मा का कल्याण कर। - _____ जीवन रूपी एक वृक्ष है । उस वृक्ष की आयुषरूपी शाखा को दो हाथों से पकड़ कर एक सांसारिक मनुष्य लटक रहा है। इस शाखा को आगे से, दिन रूपी एक सफेद चूहो और पीछे से रात्रि रूपी काला चूहा काट रहा है। इस शाखा के ऊपर संसार की वासना रूपी एक "मधु का छत्ता" लगा हुआ है। उसमें से मधु झरता है, उसी को चाटता है। और उस मधु-बिन्दु के स्वाद में, अर्थात् विषयों की वासना में वह आसक्त रहता है। नीचे नरक रूपी एक गहरा कुत्रा है। उसमें क्रोध, मान, माया तथा लोभ के रूप में साँप अजगर मुह फाड़कर बैठे हैं। लेकिन विषय वासना में लिप्त मनुष्य उनको नहीं देखता है।

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