Book Title: Syadvad
Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia

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Page 42
________________ । २३ । और सूर्य की किरणें निवान्त तथा बादल तिरोहित हो गये। अब विचार किया जाय कि इसके सामने जर्मनी की "होवी जीट" तोप क्या चीज़ है ? यह आत्म-बल नहीं तो और क्या चीज है ? ___ मुट्ठी भर हडो वाले देशवत्सल महात्मा गांधी ने ब्रिटिश स म्राज्य, कि जिसके राज्य में सूर्यास्त नहीं होता, कहा जाता था, उमको भी किस प्रकार महात किया । यह आत्म-बल के सिवा दूसग क्या हो सकता है ? अतः भवाटवी में भूले नहीं पड़ते हुए, अपना कल्याण मार्ग कौन सा है,उसकी खोज करना ही सच्चा पुरुषार्थ कहा जाता है। वस्तु अनेक धर्मात्मक है, उस पर अध्यात्म भावना . __हे विज्ञानधन आत्मन ! सांसारिक वैज्ञानिक, जैसे "मरक्युरी” (पारा) तूतिया आदि में से बिजली पैदा करते हैं। वैसे सभी सम्यग-ज्ञान, सम्यक-दर्शन और सम्यक चरित्र द्वारा अपने आत्म-प्रदीप को प्रकट करते हैं। म्याद्वाद के मत से स्वद्रव्य, क्षेत्र काल और भाव की अपेक्षा से अस्तित्व है और पर द्रव्य, काल, भाव की अपेक्षा से नास्तित्व हैं । जिस अपेक्षा से वातु में अस्तित्व है, उसी अपेक्षा से वस्तु में नास्तित्व नहीं हैं । इससे सप्त भङ्गी नय में विरोध, वैयधिकरण्य अनवस्था. संकर, व्यतिकर, संशय, अप्रतिपत्ति और अभाव, नाम के दोष पा नहीं सकते।

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