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[ ७ ]
प्रमाण !
प्रश्न - नय और प्रमाण में क्या अन्तर हैं ?
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उत्तर - नय और प्रमाण दोनों ही ज्ञान है, परन्तु उन दोनों में भेद यह है कि नय वस्तु के एक अश का बोध करता हैं, जब कि प्रमाण उसके सर्वाशों का । वस्तु में अनेक धर्म होते हैं, उनमें से जब किसी एक धर्म के द्वारा वस्तु का निश्चय कर लिया जाता है, तब वह 'नय' कहलाता है जैसे नित्यत्र धर्म द्वारा आत्मा अथवा प्रदीप नित्य है, ऐसा निश्चय कर लेना । जब अनेक धर्मों द्वारा वस्तु का अनेक रूप से निश्चय किया जाता है तो वह प्रमास कहा जाता है । यथा - नित्यत्व, अनित्यत्व आदि धर्मों द्वारा आत्मा अथवा प्रदीप नित्यानित्य आदि अनेक रूप हैं, ऐसा निश्चय करना । दूसरे शब्दों में कहें तो 'नय' प्रमाण का एक अ ंश मात्र है और प्रमाण अनेक नयों का समूह रूप है । क्योंकि नय वस्तु को एक दृष्टि से ग्रहण करता है और प्रमाण उसको अनेक दृष्टि से ग्रहण करता है ।
प्रश्न - प्रत्यक्ष और परोक्ष ज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर -- जो ज्ञान इन्द्रिय और मन की सहायता के बिना केवल आत्मा की याग्यता के बल पर उत्पन्न होता है, वह प्रत्यक्ष है । इसके विपरीत जो ज्ञान इन्द्रिय और मनकी सहायता से पैदा होता है, वह परोक्ष है ।
प्रश्न -- कौनसा ज्ञान परोक्ष है ?
उत्तर---मति और श्रुति ये दोनों ज्ञान परोक्ष हैं ।
प्रश्न- -कौनसा ज्ञान प्रत्यक्ष है ?
उत्तर- -अवधि, मनः पर्याय और केवल ज्ञान ये प्रत्यक्ष हैं ।
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