________________
[ ७४ ]
निक्षेप
निक्षेप का नाम निर्देश नामस्थापना द्रव्यभावतस्तन्नयासः ।। (नाम + स्थापना + द्रव्य + भावतः + तत् + न्यास:
सूत्रार्थ-नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव से इनका सम्यग्दर्शन तथा जोवादि का न्यास अर्थात् विभाग होता है।
विशेषार्थ व्याख्या प्रश्न-निक्षेपन्यास यानी क्या ? उत्तर-एक ही शब्द प्रयोजन अथवा प्रसग के अमुसार अनेक
अर्थों में प्रयुक्त होता है। प्रत्येक शब्द के कम से कम चार अर्थ देखे जाते हैं और यहो चार अर्थ इस शब्द के सामान्य अर्थ चार विभाग हे। इन विभागों को ही
'निक्षेप' या 'न्यास' संज्ञा दी गई है। प्रश्न-इनको जानने से क्या लाभ है ? उत्तर-इससे तात्पर्य समझने में सरलता होती है। इससे यह
पृथक्करण हो जायगा कि सम्यग दर्शन आदि अर्थ और तत्व रूप से जीवाजीवादि अर्थ अमुक प्रकार का लेना
चाहिये दूसरे प्रकार के नहीं। प्रश्न-नाम निक्षेप का क्या अर्थ है ? उत्तर- जो अर्थ व्युत्पत्ति सिद्ध न होकर केवल माता पिता
अथवा दूसरे लोगों के संकेत से जाना जा सकता है, उसको नाम निक्षेप कहते हैं। यथा-कोई एक ऐसा व्यक्ति है, जिसमें सेवक के कोई गुण नहीं, परन्तु किसी ने उसका नाम सेवक रक्खा इसलिये उसको सेवक नाम से पहिचाना जाता है । यह नाम सेवक है।