________________
[FR]
महाराज कृत 'तत्व निर्णय प्रासाद' आदि अनेक ग्रन्थों में 'स्यात अवक्तव्य को ' 'चौथा भङ्ग कहा गया है | 'ठाणांग सूत्र' में भी 'सिय भवक्तव्यम् – 'स्यात अवक्तव्यम्' की गणना चौथे. भङ्ग के रूप में हुई है। इसके अतिरिक्त 'राजवार्तिक, श्लोक - वार्तिक, अष्टसहस्री आदि दिगम्बर ग्रन्थों में भी 'स्यात' प्रवक्तव्यम्' को ही चौथा भङ्ग कहा गया है और उसकी गणना विकला देशी के रूप में हुई है। सत्यतत्व केवली भगवान या बहुश्रुत ही भगवान या बहुश्रुत ही जाने । 'आगमसार' के अनुसार सप्तभंगी का स्वरूप और क्रम इस प्रकार है:
1
--
१ स्यात् अस्ति २ स्यात् नास्ति ३ स्यात् मस्ति नास्ति
४ स्यात् अवक्तव्य
५ स्यात् अस्ति अवक्तव्य
६ स्यात् नास्ति श्रवक्तव्य
७ स्यात् अस्ति नास्ति युगपत्
अवक्तव्य