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[ ६६ । है यद्यपि ये सभी शब्द इन्द्र के पर्याय वाचक हैं, परन्तु क्योंकि उनका अर्थ भिन्न है, इसलिये वे परस्पर भिन्न
हैं, ऐसा यह नय मानता है। प्रश्न-एवंभूत नय का क्या मतलब है ? उत्तर-जिस वस्तु का जो कार्य-प्रयोजन है, उसको पूरा करती
हुई साक्षात् देखी जाय तभी उसको उस नाम से कहना चाहिये अन्यथा नहीं; ऐसा इसका नय का मानना है । जैसे-'घट' शब्द में 'घट' यह प्रयोजक धातु हैं और उसका अर्थ है, चेष्टा करना। इसलिये किसी स्त्री के मस्तक पर आरूढ़ हो कर पानी लाने का कार्य पूरा करने वाला घट ही इस नय के अनुसार घट शब्द वाच्य है।