Book Title: Syadvad
Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia

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Page 86
________________ वस्तु को सामान्य विशेषादि ज्ञान द्वारा नहीं मानकर उपर लिखे अनुसार सामाम्य विशेषादि अनेक रूप से मानता है। सामान्य ही विशेष हो जाता है और विशेष सामान्य । यह नय अरा ग्राही है; अत: देश (खण्ड ) को भी सम्पूर्ण सत्य रूप में मान लेता है। साथ ही यह कल्पना का भी अश्रय लेता है और उसी मुताबिक व्यवहार करता है । फिर भी उसको एक रूप से नहीं; जैसा कि पहले कहा गया है-अनेक रूप से मानता है। प्रश्न -इस नय के भेद कितने और क्या हैं ? उत्तर-इस के तीन भेद है, जो इस प्रकार हैं-१ भूत, २ भविष्य ३ वर्तमान। प्रश्न -भूत नय से क्या अभिप्राय है ? उत्तर-जो नय भूतकाल में हो जाने वाली वस्तु का वर्तमान की तरह व्यवहार करता है, वह भूत नैगम है। उदाहरण के तौर पर-दिवाली के दिन यह कहना कि आज भगवान महावीर का निर्वाण हुआ। प्रश्न-भविष्य नैगम का क्या अर्थ है ? उत्तर-भविष्य में होने वाली वस्तु को हो गई कहना-भविष्य नैगम है। जैसे चावल पूरे न पके हों फिर भी कहना कि चावल पक गये। प्रश्न-वर्तमान नैगम किसे कहते हैं। उत्तर --क्रिया प्रारम्भ न होने पर भी तैयारी देखकर हो गई - कहना-वर्तमान नैगम है।। प्रश्न संग्रह नय का क्या मतलब है ? उत्तर-'सम्' का अर्थ है-सम्यक प्रकार से, ग्रह यानी ग्रहण करना । जो सम्यक प्रकार से ग्रहण करता है, वह संग्रह नय है । इस में सामान्य की मान्यता है विशेष की नहीं।

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