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प्रश्न- -नय का अर्थ क्या है ?
उत्तर- आंशिक (अंशतः) सत्य का नाम नय है । अनेक धर्म वाली वस्तु में किसी एक धर्म विशेष को स्पर्श करने वाले अभिप्राय को जैन शास्त्रों में नय की सज्ञा दी गई है । प्रश्न - निश्चय नय याने क्या ?
उत्तर - जो दृष्टि वस्तु की तात्त्विक स्थिति को अर्थात् उसके मूल स्त्ररूप को स्पर्श करती है, उसको निश्चय नय कहा गया है ।
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नय रेखा दर्शन प्रश्नोत्तरावली
प्रश्न- व्यवहार नय का क्या मतलब है
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उत्तर - जो दृष्टि वस्तु के बाह्यावस्था की ओर लक्ष्य करती है, उसको व्यवहार नय कहते हैं ।
प्रश्न- नय की विशेष व्याख्या कीजिये ।
उत्तर - अभिप्राय प्रकट करने वाला शब्द, वाक्य, शास्त्र या सिद्धान्त--- ये सभी नय कहे जा सकते हैं ।
प्रश्न - नय सम्पूर्ण सत्य रूप में स्वीकार किया जा सकता है या नहीं ?
उत्तर--नहीं ।
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प्रश्न- कारण ?
उत्तर - अभिप्राय या वचन प्रयोग जब गणना के बाहर हैं तो
* प्रस्तुत लेख संवत् १६८८ में प्रकाशित 'जैनतत्त्वसार' नामक मेरी पुस्तिका से लिया गया है। यह 'आत्मानन्द प्रकाश ' के पुस्तक ८ अंक २ के दूसरे पृष्ठ में भी प्रकाशित हुआ है ।