SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्न- -नय का अर्थ क्या है ? उत्तर- आंशिक (अंशतः) सत्य का नाम नय है । अनेक धर्म वाली वस्तु में किसी एक धर्म विशेष को स्पर्श करने वाले अभिप्राय को जैन शास्त्रों में नय की सज्ञा दी गई है । प्रश्न - निश्चय नय याने क्या ? उत्तर - जो दृष्टि वस्तु की तात्त्विक स्थिति को अर्थात् उसके मूल स्त्ररूप को स्पर्श करती है, उसको निश्चय नय कहा गया है । - [ ६५ ] नय रेखा दर्शन प्रश्नोत्तरावली प्रश्न- व्यवहार नय का क्या मतलब है 1 उत्तर - जो दृष्टि वस्तु के बाह्यावस्था की ओर लक्ष्य करती है, उसको व्यवहार नय कहते हैं । प्रश्न- नय की विशेष व्याख्या कीजिये । उत्तर - अभिप्राय प्रकट करने वाला शब्द, वाक्य, शास्त्र या सिद्धान्त--- ये सभी नय कहे जा सकते हैं । प्रश्न - नय सम्पूर्ण सत्य रूप में स्वीकार किया जा सकता है या नहीं ? उत्तर--नहीं । -- प्रश्न- कारण ? उत्तर - अभिप्राय या वचन प्रयोग जब गणना के बाहर हैं तो * प्रस्तुत लेख संवत् १६८८ में प्रकाशित 'जैनतत्त्वसार' नामक मेरी पुस्तिका से लिया गया है। यह 'आत्मानन्द प्रकाश ' के पुस्तक ८ अंक २ के दूसरे पृष्ठ में भी प्रकाशित हुआ है ।
SR No.022554
Book TitleSyadvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
PublisherShankarlal Dahyabhai Kapadia
Publication Year1955
Total Pages108
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy