Book Title: Syadvad
Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia

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Page 77
________________ [ ५८ ] अपने में समा देती है। इससे स्याद्वाद' को 'ठण्डे को उस और उष्ण को ठण्डा" कह के जो आक्षेप किया जाता है वह सत्य से दूर है। वस्तु मात्र, ग्व-स्वभाव से सत्य है और पर म्वभाव में असत्य है । वह पर स्वभाव वाली वस्तु को अपने स्त्य में किस प्रकार मिला सकती है, यह बुद्धि-गम्य बात नहीं है। (सिद्ध प्रोफेसर हर्बर्ट स्पेंसर भी कहता है कि आकृति फिरती है, वस्तु नहीं। यह बात “त्रिपदी" के सिद्धांत की पुष्टि करता है।)

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