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रत्न को प्राप्त करें; जिससे तेरे पास आने वाले को तू ज्ञान दर्शन आदि जवाहरात दे सके ।
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शब्द - ज्ञान और अपेक्षा ज्ञान
शब्द ज्ञान में यद्यपि विचारने की आवश्यकता होती हैं, किन्तु अति सहवास से उसमें कठिनता मालूम नहीं होती । ज्ञान किंवा अपेक्षा ज्ञान तो विचारने के लिए मुख्य और विशेष रखता है । अतः उसमें विकटता मालूम हो, यह स्वाभाविक है । परन्तु शब्द-ज्ञान जैसे अभ्यास-परिचय के लिए सरल होता है, वैसे अपेक्षा अथवा नयों का अभ्यास भी यदि निरन्तर रखा जाय, तो वह आसानी से थोड़े समय में ज्ञान गोचर हो सकता है |
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