Book Title: Syadvad
Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ २८ } रत्न को प्राप्त करें; जिससे तेरे पास आने वाले को तू ज्ञान दर्शन आदि जवाहरात दे सके । X x X शब्द - ज्ञान और अपेक्षा ज्ञान शब्द ज्ञान में यद्यपि विचारने की आवश्यकता होती हैं, किन्तु अति सहवास से उसमें कठिनता मालूम नहीं होती । ज्ञान किंवा अपेक्षा ज्ञान तो विचारने के लिए मुख्य और विशेष रखता है । अतः उसमें विकटता मालूम हो, यह स्वाभाविक है । परन्तु शब्द-ज्ञान जैसे अभ्यास-परिचय के लिए सरल होता है, वैसे अपेक्षा अथवा नयों का अभ्यास भी यदि निरन्तर रखा जाय, तो वह आसानी से थोड़े समय में ज्ञान गोचर हो सकता है | X

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108