Book Title: Syadvad
Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia

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Page 38
________________ [ १६ } जानता है।' वैसे ही जिसने एक पदार्थ को संपूर्ण रीति मे जान लिया है, उसने सब पदार्थों को, सभी प्रकार से जाना है। साथ ही जिसने सब पदार्थों को सभी रीति से जाना है, वह एक पदार्थ की समी रीशिसे जानता है। अजैन दर्शन में एक जगह कहा है कि श्वेतकेतु को उसके पिता पारुणी ने कहा था कि मिट्टी के एक पीड़ को जनने से, मिहदी की बना हुई सभी वस्तुओं का ज्ञान होता है । यह बात सी इस सिद्धांत को पुष्ट करती हैं। व्यक्ति विशिष्ट पर अध्यात्म भावना हे प्रात्मन् ! तू अनन्त ज्ञान, दर्शन, अनन्त चरित्र और अनन्त वीर्यवान है। जिससे तेरी शक्ति सामर्थ्य तुझे दस दृष्टांतों से दुर्लभ ऐसे इस मनुष्य भाव को सार्थक करने के लिये लगा! और मिले हुए रत्नचिन्तामणि जैसे धर्म को कांच का टुकड़ा समझ कर फेंक न दे।

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