Book Title: Syadvad
Author(s): Shankarlal Dahyabhai Kapadia, Chandanmal Lasod
Publisher: Shankarlal Dahyabhai Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ [ ६ ] इससे स्पष्ट होता है कि सापेक्ष वचन बोलना, यही हितकारक है । हम सामान्य भाषा में भी कहते है कि "Ask your conscience and then do it." अर्थात पहिले अपनी आत्मा से पूछो और तब करो । X X X श्री भीखनलाल जी आत्रेय एम० ए०, डी० लिट्० काशी दर्शनाध्यापक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने अपने एक लेख में लिखा है: "सत्य और उच्च भाव तथा विचार किसी एक जाति या धर्म वालों के लिये नहीं; बल्कि मनुष्यमात्र का इन पर अधिकार है । मनुष्य मात्र को अनेकान्तवादी, स्याद्वादी और अहिंसावादी होने की आवश्यकता है। केवल दार्शनिक क्षेत्र में ही नहीं धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में भी ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108