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श्रमण, वर्ष ५८, अंक २-३/अप्रैल-सितम्बर २००७
भी विविध ग्रन्थों के आधार पर श्रेणियों के सत्ताईस नाम बताए हैं।१७ विद्वानों का तो यह भी मानना है कि राजा श्रेणिक के पास बहुत बड़ी सेना थी और वे सेनिय गोत्र के थे, इसलिए उनका नाम श्रेणिक पड़ा।१८
_जैन साहित्य में राजा श्रेणिक की रानियों के पच्चीस नाम मिलते हैं। जिनमें से 'अन्तकृत्दशा' १९ में २३ रानियों के नामों का उल्लेख है- नन्दा, नन्दवती, नन्दोत्तरा, नन्दिसेणिया, मरुता, सुमरुया, महामरुता, मरुदेवा, भद्रा, सुभद्रा, सुजाता, सुमनायिका, भूतदत्ता, काली, सुकाली, महाकाली, कृष्णा, सुकृष्णा, महाकृष्णा, वीरकृष्णा, रामकृष्णा, पितुसेनकृष्णा और महासेनकृष्णा। 'ज्ञाताधर्मकथांग' में धारिणी नाम की रानी का भी उल्लेख मिलता है।२० 'दशाश्रुतस्कन्ध' में महारानी चेलना का वर्णन मिलता है।२१ 'निशीथचूर्णि' में अपतगन्धा को भी श्रेणिक की रानी बताया गया है।२२ बौद्ध साहित्य के 'विनयपिटक' में भी राजा श्रेणिक की ५०० रानियों का उल्लेख किया गया है।२३ परन्तु यहाँ पर उनके नाम नहीं दिए गए हैं। 'जातक' के अनुसार कोशला देवी भी उनकी रानी थी, जो रानियों में मुख्य थी।२४ 'थेरीगाथा' अट्ठकथा में रानी खेमा का नाम मिलता है। इनके अतिरिक्त पद्मावती, वासवी, शीलवा, अम्बपाली, जयसेना आदि रानियों के नाम मिलते हैं।२५ जैन एवं बौद्ध -साहित्य में उल्लेखित राजा श्रेणिक की रानियों के नाम एक-दूसरे से भिन्न हैं। ये भेद परम्परा की दृष्टि से हो सकते हैं, ऐसा कहा जा सकता है।
जैन साहित्य में राजा श्रेणिक के पुत्रों के भी अनेक नाम मिलते हैं, जैसेजाली, मयाली, उवयाली, पुरिमसेण, वारिसेण, दीहदन्त, लट्ठदन्त, वेहल्ल, वेहायस, अभयकुमार, दीहसेण, महासेण, लट्ठदन्त, गूढदन्त, सुद्धन्त, हल्ल, दुम, दुमसेण, महादुमसेण, सीह, सीहसेण, पुण्णसेण, कालकुमार, सुकालकुमार, महाकालकुमार, कृष्णकुमार, सुकृष्णकुमार, महाकृष्णकुमार, वीरकृष्णकुमार, रामकृष्णकुमार, सेणकृष्णकुमार, महासेणकृष्णकुमार, मेघकुमार, नन्दिसेन, कूणिक आदि। बौद्ध साहित्य में भी श्रेणिक बिम्बिसार के पुत्रों के नाम मिलते हैं, जैसेअजातशत्रु, अभय, सीलव, देवदत्त, विमलकोण्डञ, जयसेन, वेहल्ल आदि।२६
__ जैन साहित्य के अनुसार राजगृह के राजा श्रेणिक की महारानी चेलना से कूणिक, काली से कालकुमार, महाकाली से महाकाल आदि पुत्र उत्पन्न हुए। इनमें कूणिक जब बड़ा हुआ तो राज्य प्राप्ति हेतु अपने पिता श्रेणिक को कारागृह में बन्दी बनाकर स्वयं राजसिंहासन पर विराजमान हो गया। श्रेणिक कारागृह में आत्महत्या कर लेते हैं। चेलना अपने पुत्र को पिता-प्रेम व दोहद की घटना सुनाती है कि किस प्रकार