Book Title: Sramana 2007 04
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 232
________________ जैन जगत् : २२७ He left behind, well established business, two sons and three daughters, we are all well settled and married to all reputed Jain families. His younger son, Dr. Ashok Kumar Jain, settled in U.S.A. since 1971, is employed in U.S. Army (Civilian) as Project Director. He held all the above post as Honorary. Rajinder Kumar Jain Delhi पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंह को पितृशोक १ सितम्बर, २००७, वाराणसी। पार्श्वनाथ विद्यापीठ स्थित शतावधानी रत्नचन्द पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंह के पिता श्री आत्माराम सिंह का ९६ वर्ष की उम्र में निधन हो गया। श्री सिंह एक धर्मपरायण, अत्यन्त सरल स्वभावी एवं मृदुभाषी थे। दु:खी व्यक्तियों की सेवा एवं परकल्याण को आप पूर्णतया समर्पित थे। बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ही आपके जीवन का आदर्श था। आप लगातार ४० वर्षों तक अपने पंचायत के ग्रामप्रधान रहे। जीवन के अन्तिम चरण तक आप राष्ट्रीय विद्यामंदिर इण्टर कालेज, चन्दवक, डोभी, जौनपुर के प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष पद पर सुशोभित थे। आप एक कुशल सामाजिक कार्यकर्ता थे। आप अपने पीछे चार सुपुत्रों, दो सुपुत्रियों, छ पौत्रों एवं चार पौत्रियों से भरापुरा परिवार छोड़ गये हैं। श्री आत्माराम जी के निधन का समाचार मिलते ही विद्यापीठ परिवार शोक संतप्त हो गया। सबने जिनेन्द्रदेव से श्री ओमप्रकाश सिंह एवं उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने एवं मृतात्मा को शान्ति प्रदान करने हेतु प्रार्थना की।

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