Book Title: Shrimad Vallabh Vedanta
Author(s): Vallabhacharya
Publisher: Nimbarkacharya Pith Prayag

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Page 13
________________ ( १२ ) कि पदार्थ और रूप का सम्बन्ध द्वतधाटित है या अद्वैत घटित । अतः दोनों को माने बिना हमारा समाधान सम्भव नहीं है यही कारण है कि द्वैतवादी, अतवादी, विशिष्टाद्वैतवादी. शुद्धाद्वैतवादी, आचिन्त्य भेदाभेदवादी सभो किसी ने किसी रूप में, किसी न किसी विशेषण के साथ त अद्वत दोनों को ही मान्यता देते हैं। वह द्वैत व्यावहारिक हो, औपाधिक हो, आत्यन्तिक हो, ऐच्छिक हो, या स्वाभाविक हो है तो द्वत ही इसी प्रकार अद्वैत भी चाहे स्वाभाविक हो, पारमार्थिक हो, आत्यन्तिक हो, औपाधिक हो या गौण हो किसी न किसी रूप में सभी को मान्य है । अतः विवाद द्वैत, अद्वैत का नहीं विशेषणों का है। शुद्धाद्वैत में स्वाभाविक अद्वैत और ऐच्छिक अद्वत को मानकर श्रुतियों का समन्वय किया गया है जैसे कि शङ्कराचार्य जी ने व्यावहारिक द्वत और पारमार्थिक अद्वत में श्रुतियों का समन्वय किया है । जड़ चेतनात्मक जगत को पदार्थ मानते हुए जगत एवं ब्रह्म के बीच अद्वत मानना ही शुद्धाहत है । जगत को मिथ्या मानते हुए जगत एवं ब्रह्म के बीच अद्वत मानना केवला त है। संस्कृत भाषा में इन्हें 'एकस्याभेदः' और 'द्वयोरभेदः' कह सकते हैं। एक अभावात्मक अद्वत है, दूसरा भावात्मक अभेद है। शुद्धा द्वैत भावात्मक है। ब्रह्मसूत्र के 'तदन्यत्वाधिकरण' में टीका करते हुए शङ्करभाष्य के टीकाकार वाचस्पति कहते हैं कि हमारे अद्वैत का तात्पर्य दो वस्तुओं के बीच तादात्म्य सम्बन्ध का नहीं है, भेद का निषेध मात्र हमारा तात्पर्य । वल्लभाचार्य जी तादात्म्य का अद्वत ही मानते हैं। उनकी दृष्टि से ब्रह्म के अलावा जगत जैसा कुछ है ही नहीं। यह नहीं कहना चाहिए कि ब्रह्म जगत के रूप में परिणत हुआ अपितु कहना चाहिए कि जगत भी ब्रह्म ही है। ऐसा मानना ही शुद्ध अद्वत है। आचार्य “सर्व खल्विदं ब्रह्म" (छाँ ३३१४।१) इस औपानिषद् वचन को ही अपने मत का आधार मानते हैं । गणित की दृष्टि से विचारने पर "ब्रह्मआनन्द = जगत" अथवा "जगत+आनन्दब्रह्म" इस समीकरण द्वारा शुद्धात सिद्ध होता है । जगत का अर्थ जड़ चेतनात्मक अनन्त ब्रह्माण्ड है इसको निम्नांकित वचनों से निश्चित करते हैं (१) "तदक्षत बहुस्यांप्रजायेय" (छा० उ० ६॥२॥३) उसने चाहा कि वह अनेक रूप धारण करले। ___(२) "स आत्मानं स्वयंमकुरुत" (ते० उ० २।७) उसने स्वयं अपने को जगत के रूप में ढाल दिया।

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