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भगवती की साधना
वेश्या का खून कर दिया । जब सरकार से उसे मृत्युदण्ड मिला और अधिकारियों ने जब दण्ड देने के समय उसकी अन्तिम इच्छा जानना चाही तो उसेन माता से मिलने की इच्छा प्रगट की । जब माँ उससे मिलने आई तो उसने माँ की नाक काट ली और कहा, 'अगर तूने मेरी छोटी अवस्था में ही माह में भूलकर मुझे उद्दण्ड न बनने दिया होता, पड़ोसियों के उलहनों का विचार करके मुझे सुधारा होता तो आज मेरी यह दशा न हुई होती ।
इस प्रकार मोह से मोहिनी का जीवन भी बर्बाद हुआ, दूसरो की भी हानि हुई और उसका प्यारा लड़का भी जान से गया । सन्तान से प्रेम और वात्सल्य रखना चाहिये, मोह नहीं, मोह मे अपना भी नुकसान होता है और सन्तान का भी जीवन बर्बाद होता है।
प्रेम की अपेक्षा मोह कुछ मीठा तो अवश्य मालूम होता है और विश्वसनीय भी लगता है पर अन्त में वह बहुत कडुआ निकलता है और की भी पोल खुल जाती है। मोही व्यक्ति को विश्वसनीय नहीं समझना चाहिये । प्रेमी नतिप्रधान है जब कि मोही स्वार्थप्रधान । यह बात हिप्रोजा की कहानी से और भी साफ हो जायगी ।
हिमोजा की कथा
महात्मा ईसा से भी पुरानी बात है। उस समय यूनान दार्शनिकों का विख्यात केन्द्र था । प्रसिद्ध दार्शनिक जयना के अनुयायी धर्म के नाम पर आत्महत्याएं करने लगे थे जब कि अतिसुखवादी एपीक्स के अनुयायी विषय भोगों के गुलाम बनकर नीति- अनीति भूल गये थे। इस दलके दार्शनिक वेश्याओं से सम्पर्क रखने में जरा
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भी शार्मिन्दा न होते । ऐसे दर्शकों में हिमोजा नामका एक दानिक पंडित था जो इलिया नाम की एक वेश्या के सौंदर्य पर विक गया था । इलिया इकदम किशोरी और सुन्दरी
इसलिये अच्छे अच्छे दार्शनिक विद्वान् उसके एक एक कटाक्ष के लिये न्यौछावर होने को तैयार रहते थे। जगप्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो के साम्यवादी विचारों ने कुटुम्ब संस्था को काफी डीला कर दिया था इसलिये बहुत मे दार्शनिक वेश्याओं के यहां पड़े रहते थे, इससे जहां दार्शनिकों के चरित्र का पतन हुआ था वहां दार्शनिकों के संसर्ग में बौद्धिक विकास और शास्त्रीय ज्ञान भी बढ़ गया था। इसलिये इलिया बेश्या होने के साथ कुछ विदुषी भी थी । हिमोजा उसे प्राणपण से चाहता था और इलिया भी उसे सचे दिल से चाहती थी। दोनों इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि उनमें से कोई किसी के साथ कभी बात करेगा ।
एक दिन इडिया ने हिनेजा से कहा पारे हम दोनों आपस में विवाह क्यों न करलें !
जिनमें प्रेम नहीं
इलिया की बात सुनकर हिमोजाने हँस दिया और कहा- प्यारी तुम्हें यह पागलपन कहाँ से सूझा ! विवाह वे करते हैं होता और अविश्वास होता है । उन्हें डर रहता है कि कहीं कोई किसी को धोखा न दे दे । उनमें सचा आकर्षण नहीं होता इसलिये वह के बन्धन से एक दूसरे को बाँध कर रखना पड़ता है पर हम दोनों तो एक दूसरे को कञ में भी न छोड़ेंगे। तुम्हारे एक एक कक्ष पर मैं मोर की तरह नाचत हूं। क्या तुम विश्वास कर सकती हो कि मैं तुम्हें कभी छोड़ सकूंगा ! तुम्हारी ये मदमाती आंखें, ये लम्बे केश, यह