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मन्यामत
मुख्य अर्थ की अपेक्षा करना चाहिये । फिर भी कारिकता जहाँ साफ हो वहाँ इस प्रकार के प्रयोग जहाँ तक बन सके अभिधेय अर्थ में सचाई लाने उचित ही है । बल्कि आकर्षक होने के कारण की कोशिश करना जरूरी है, जिसका अभिधेय कभी कभी इनकी उपयोगिता बढ़ जाती है । फिर और व्यंग्य दोनों सत्य है बही वाक्य पूरा भी कभी कभी भ्रम होने की सम्भावना है इसलिये
इसे उभयसत्य नहीं कहा बहुसत्य कहा । लक्षणा
वाक्यों में यही भेद समझना चाहिये । अभिधा आदि की दृष्टि से वाक्यों के ९ भेद होते है- १. यस य. २. बहुसत्य, ३. उप- ३ उपमान मत्य वह है कि जहाँ कोइ मन्य मान सत्य, ४. उपमान सत्य, ५. वस्तु सत्य, बात समझाने के लिये दृष्टान्त या कहानी वगैरह ६. पापसत्य, ७. न्यायक असत्य, ८. वस्तु कही जाय, यह कहानी आदि कल्पित या अर्धअसत्य, ९. उभय असत्य।
कल्पित हो पर हो वैसी ही जैसी कि घटनाएँ
हुआ करती हैं। अन्न कृतिक, या अघटित घटनाएँ १ उभयमन्य वह है जिसका शब्दार्थ भी ।
उनमें न हो। इस प्रकार ठीक उपमान द्वारा सत्य है उससे जो कर्तव्य अर्थ प्रगट होता है वह
एक सचाई प्रगट करना उपमान सत्य है। भी सत्य है। जैसे सम्य और अहिंसा का पालन करने से मनुष्य महात्मा बन जाता है। इस वाक्य ४ उपमानक सत्य यह है जिसमें कर्तव्य
शब्द भी सत्य है और इसलिये सबको तो सच्चा ही बताया जाता है पर उसके लिये जो सत्य अहिंसा का पालन करना चाहिये' यह कहानियों का चित्रण किया जाता है वह अघाटत कर्तव्यार्थ भी सत्य है इसलिये यह वाक्य उभय- या अप्राकृतिक होता है । उपमान की अपेक्षा सत्य कोटि का है।
यह कुछ खराब है इसलिये इसे उपमानक कहा २ बहुसत्य वह है जिसमें अभिधा अर्थ न
है। भून-शाच आदि की कहानियाँ अथवा हो टक्षणा अर्थ हो और वह माय हे साथ ही उससे
ऐसी ही अमृतादि रसपूर्ण शिक्षाप्रद कथाएँ उप
मानक सत्य है । जो कर्तव्य निकलता हो वह भी सत्य हो। जैसेनरोगोदीकः सिंहासन मिल जावे सबको मनभाया।
५ वस्तुसत्य यह है जिसमें किसी वस्तुका
या घटना का ठीक ठीक परिचय दिया जाता है। निःपक्ष जगत पर बाजाये तेरेही अश्चल ५.५: जिसमें कर्तव्य के निर्देश का भाव नहीं रहता या यहाँ भगवती अहिंसा की गोदी और उसके स्वल्प रहता है। एतिहानिक, वैज्ञानिक दार्शनिक
आदि ग्रंथों में तथा समाचारपत्रों के समाचारों में अश्वल में रूपक है, क्योंकि भगवती अहिंसा कोई इस प्रक र मनुःया कर धारण करने वाली महिला
इसी सत्य की मुख्यता है। नहीं है पर इस अलंकार वाक्य से अहिंसा की करनेवाले तो वस्तुसत्य से भी कुछ न कुछ महत्ता, माता की तरह कल्याणकारकतः आदि कर्तव्य का ज्ञान कर लेते पर वक्ता का मुख्य अनेक बातें जल्दी समझ में अ.न. है इसलिये यही उद्देश जहाँ वस्तुका या. घटना का रूप बतलाता भानकारिक वाक्य प्रयोग किया गया है। आलं- है वहाँ और उतने अंश में वह वस्तु सत्य है।