Book Title: Satyamrut Achar Kand
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 227
________________ सत्यामृत [४३३ उभय शुद्ध जीवन . २०७ उभय सत्य ३३१ उरणचार (उऋणचोर) ३१४-३२१-३२४-३२६ उरण प्रवृत्ति २२२ कोमलता काध क्षणिकलभावना क्षमा २४३ १२९ ११८ ३८८ क्षमायाचना ऋद्धिभक्त २.२२ एकलिंगी जीवन २८३ गच्छत्पुण्यप्रवृत्ति गर्तस्थ गर्भजीवन गुणादेव गुणभक्त गुप्तदान गुरुजन m Wdom गुरूपरोक्षता G ४६. गुरुमूढ़ता कणग्राही चोर ३१३-३२०.३२४-३२६ कर्तत्र परीक्षा करुणा पात्र कर्मठ जीवन १५७ कर्मठ विचारक जीवन १५९ कर्मण्य भावना कर्मयोग ४८-५६ कल्य कलाभक्त १५३ कापटिक अघात ३०६ काम १४२-२३७ कामसेवी कायिक आत्मप्रशंसा २६० कालमोह कालिमा २४६ कि २४६ कुगुरु कुटिल आत्मप्रशंसा ६० कुयाचना ३१७-३२३-३२५-३२७ घातक चोर घृणा घुणामय श्चमसमभाब चिकित्सा चिकित्स्यता चिन्ता १२४ मनचोर ३०९ छलजीविका कुल मोह केन्द्रीकरण २४५ ३६६ २३६-२४५ ४२७ २३९ छाया छायाज्ञानी

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