Book Title: Satyamrut Achar Kand
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

View full book text
Previous | Next

Page 192
________________ विशेष साधना-तप [ ३९० दूसरों के द्वारा लाये जाते हैं उन्हें उपसर्ग या उपद्रव तो वह तप भी तप न कहलायगा। कहते हैं । दोनों के कष्ट शान्ति के साथ सहन बहुत से लोग अमुक रसका त्याग करदेते हैं करना परिषह तप है। और उस के बदले में दूसरी कीमती चीजें __ अपने जीवन को अधिक स्वाबलम्बी और स्वतंत्र चाहते हैं उनका वह काम तप नहीं है, जो धी बनाने के लिये, दूसरों को कम से कम कष्ट आर छोड़कर बादाम का तेल चाहते हैं वे घीके त्यागी अधिक से अधिक सुख देने के लिये, संयम के नहीं कहे जा सकते । तप के लिये अगर कोई पथ पर दृढ़ रहने के लिये परिषह तप करना ज़रूरी चीज़ छोड़ता है तो उसके बदले में कोई कीमती है । अगर कोई ज़रा सी भूख नहीं सहसकता या चीज़ न मांगे । उसके बदले में या तो कुछ न रूखा सूखा जैसा मिले उस में सतुष्ट नहीं रह लेना चाहिये या कुछ और सस्ती चीज़ लेना जाहिये । सकता, निन्दा अपमान से घबरा जाता है या तप का फल पारलौकिक ही नहीं है क्षुब्ध हो जाता है, वह ठीक तरह से जगत की उसका फल प्रायः यहीं दिखाई देता है । तप के सेवा नहीं कर सकता, कदचित् वह महान कहला द्वारा प्रतिकूल जगत अनुकूल हो जाता है, विपदाएँ सकता है पर महान नहीं बन सकता। टकराकर चर चर हो जाती हैं, संसार में और ___ यह बात पहिले कही जाचुकी है कि इन अपने जीवन में सुख बढ़जाते हैं और दुःखों की तपस्याओं की उपयोगिता का खयाल अवश्य रखना असह्यता जाती रहती है। चाहिये । एक आदमी इसलिये तप करता है कि तप के द्वारा देवता प्रसन्न होकर धन वैभव आदि वह तपस्वी कहलाव, इसलिये उपवास करता है कि दे देते हैं-ये सब कोरी कल्पनाएँ है या आलङ्कालोग उसके दर्शन के लिये आवे ता ये सब तप रिक कथन है । हां, यह कह सकते हैं कि तप न होंगे। उपवास व्यर्थलंघन होंगे। के द्वारा सत्येश्वर प्रसन्न होते हैं, अहिंसा भगवती • तपस्या की जाय लेकिन उसके द्वारा दूसरों की प्रसन्न होती हैं, सरस्वती देवी, शक्ति देवी या स्वतपरेशानी बढ़ायी जाय और कोई . विशेष लाभ भी न्त्रता देवी प्रसन्न होती है । अतः हर एक मनुष्यको न हो, जिसका मूल्य उस परेशानी से अधिक हो, आवश्यकतानुसार तप करना चाहिये ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234