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भगवती के
हो, तो उनका दान लेना चाहिये या नहीं ! बर्दि न लिया जाय तो उस पैसे का कहीं न कहीं दुरुपयोग होगा और लिया जाय तो धन की प्रतिष्ठा होगी इससे नीति गोग बनेगी कदाचित अपने के मार्ग में सन्तोष के साथ आगे बढ़ेंगे। तब क्या किया जाय !
उदान के देना चाहिये, साथ ही इस तरह जो सम्पर्क बड़े उसका उपयोग दानी से छोटाने में करना चाहिये। धनकी प्रतिष्ठा न होने पाये इसके लिये इन बाती का खयाल रखना चाहिये।
१ मौका आने पर यह बताना कि ईमानदारी की कमाई का एक पैसा रुपये से भी अधिक कीमती है।
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२ असर अने पर यह बताने की कोशिश करना किसे हम जितनी दानि कर चुके हैं उसकी पूर्ति चांगुना दान करने पर भी नहीं होगी । और अगर दान न किया जाय तब तो उस दानि का ठिकाना ही क्या है !
३- यह बताना कि दान देकर जितनी यशप्रतिष्ठा की उतने दान का बदला तो मिल गया जितनी प्रतिष्ठा कम कोगे उनने अंश में सच्चा दाना इसलिये का अधिक से अधिक प्रायश्चित्त करो प्रतिष्ठा खरीदकर प्रायवित्त का परिमाण कम न करो ।
४- दानी को थोड़ा बहुत आदर देना जरूरी हो तो देना चाहिये पर ऐसा यश न देना चाहिये जिससे वह या जगत् अनुकरे के त्यागी की अपेक्षा का करके दान करनेवाला अच्छा, ऐसे दान की अपेक्षा संयम शुद्ध सेवा आदि की इज्जत कमन होना चाहिये ।
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जनहित या धर्म के लिये दान वाली इन बातों का पथावाक्य या परिस्थिति के अनुसार श्री पान कर पाता है पर साधारण जनता इस विषय में पूरा न्याय कर सकती है। जनता क किसी दानी की जन उतनी करना चाहिये य उसे उतना ही यश देना चाहिये जितना उसके का पवित्रता और दान के मुख्य अनुसार ठीक हो ।
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के द्वारा ला
पैदा करनेवाला और अपने पापको निये दान के नाम से इधर उबर कुछ दुक बिकुल प्रशसनीय नहीं है।
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छिपाने के लिये नहीं किन्तु किसी कार्य को अच्छाई समझकर दान देनेवाला पानी कुछ और दयनीय है । छोड कर पाप के प्रायश्वित के रूपमें दान देनेव का प्रशंसनीय और आदरणीय है ।
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में न पड़कर दान करनेवाला
पूर्ण प्रशंसनीय
है।
हमे यह बात सदा ध्यान में रखना चाहिये कि जीवन में सफलता की कसौटी धन नहीं, विश्वकल्याण दे । के द्वारा इम ने लाखों कमाये और हजारों या लाखों दान दिन तो से लाखे, कमाने में जगत् का जी अकल्याण हुआ है वह करोड़ों के दान से पूर नहीं हो सकता । अपथ्य करके मनुष्य जितना बीमार हो सकता है उस से कई गुणा पथ्य भी उतना स्वस्थ नहीं कर पाता। एक रुये की कमाई का दोष रुपये क दान से भी नहीं घुख सकता | इसलिये पह ध्यान में रखना चाहिये कि कुछ पैसे कमाकर दान न देनेवाला या कम दान देनेवाला
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