Book Title: Satyamrut Achar Kand
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 165
________________ मन्यामृत - धन है उनके लिये पूजा प्रतिष्ठा आदि की कीमत पहिले की अपेक्षा दूसरा अच्छा ही है। परन्तु धन से अधिक है इसलिये दान देकर वे जो कुछ इसके दान करने से भी पापजीविका का पाप पाते हैं वह उनकी अपेक्षा घोट का व्यापार नहीं नष्ट नहीं होगा क्योंकि दुरर्जन से समाज को जो है । एमी हालत में दान देने से सट्टे का पाप हानि उठाना पड़ती है उसका असर सारी सम्पत्ति धुल नहीं सकता। किसी ने धन पाकर जमीन दान करके भी नहीं जा सकता। जायदाद खरीदी किसी ने प्रतिष्ठा खर दी। यदि एक अदनी ने एक करोड़ रुपया सट्ट जमीन जायदाद खरीदने से सट्टे का पाप धु-ट से कमाया और मान लो एक करोड़ ही उसने दान नहीं सकता तो प्रतिष्टा खरीदने से भी धुल नहीं कर दिया तो भी समाज को इनमें लाभ की अपेक्षा सकता। हानि अधिक है । लाभ इतना कि शायद एक प्रश्न- उसके मन में प्रतिष्ठा खरीदने विद्यापीठ तथा कुछ और संस्थाएँ खडी है. कर का भाव न हो तो क्या बुराई है ! कदाचित् वह लोगों को जीविका मिली समाज में कुछ पंडिताई गुप्त-दान करे, तब तो प्रतिष्ठा का दोष नहीं लगाया बही, परन्तु एक करोड़ के लाभ से जो दूसर जा सकता। हजारों गृहस्थ उजड़ गये और उनके आश्रितों - उत्तर- उक्त पांच में से चार दोष रहेंग, को जो धक्का लगा वह हानि कम नहीं है, साथ इससे निदोषता नहीं आ जाती, बल्कि अधिक ही दूसरे लाखो व्यक्तियों में जो मुफ्तखोरी की सम्भावना तो यही है कि वह इन पांच दोषों के बासना जगी मुफ्तखोरी के धंधे की तरफ जो साथ एक छट्ठा दोष और ळगाले, उसके मन लाखो व्यक्ति झुक गये -इस स्थायी हानि का तो घमंड आ जाय कि मे प्रतिष्ठा नहीं चाहता । ऐसे कुछ ठिकाना ही नहीं है । शिक्षा संस्थाएँ ज्ञान गुप्त दानियों की कमी नहीं है जो कहते हैं कि बढ़ायेंगी परन्तु उसके मूल में जिस किसी तरह से हमने इतना गुप्त दान किया पर किसी को नहीं पैसा पैदा करके जीवन को सफल और यशस्वी मालूम, ये किलीन मालम होने की बात अधिक बनाने का जो बीज पड गया है वह विद्या का सदुपसे अधिक जगह मालून कराते हैं । म्बर, कुछ भी योग न होने दगा । उनके आगे ईमान और श्रमहो पर प्रतिष्ठा न खरीदने का भाव हो तो भी शीलता का आदर्श न आ सकेगा किन्तु लूट करके सट्टे को उत्तजन न देना चाहिये। भी धनवान बनने की महत्ता ही आयेगी। इस प्रश्न-सट्टे को उत्तेजन न देना चाहिये पर प्रकार लाभ कम और हानि अधिक रहेगी। हां, किसी ने सट्टे में रुया पैदा कर लिया और पाप जीविका के बाद पापोपयोग करने की अपेक्षा अब वह किसी धर्मकार्य में लगाना चाहता है धर्मोपयोग करना अच्छा ही है। तो अच्छा करता है या बुरा ! प्रश्न- आदमी पाक: नहीं छोड़ उनर-मद या और किसी करविका सकता (जैसे एक आदनी सट्टा नहीं छोड़ सकता से पैसा पर ले. एक आदमी किसी बरे का एक वेश्या अपना धंधा ना छोड़ मकती) पर में- दुर्व्यसन में -पसा करना है इसरा अच्छे उनकी यह इच्छा अवश्य है कि आमदनी का कार्य में लगाता है-विवेकपूर्वक दान करता है - तो अधिक से अधिक भाग किसी अच्छे कार्य में खर्च

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