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भगवतीक उपांग
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उत्तर--यों दिखने में तो कोई पाप नहीं भेद-रेखा इतनी पीदी जाती है कि अंडा मालूम होता पर
जनसमाज के बानेवाला पक्षी बने के लिये तैयार हो जाता है, लिये व्यवहार्य नहीं है। म. बुद्ध ने इस बात की फिर यह अब भी निकलने लगता है कि बेहोश अनुमति दी थी पर इससे मारे गये पशु का मांस पशु को मारकर खाने में क्या दोष है भक्षण न रुका। जनता का ध्यान उत्पत्ति की उस समय वह भी अंडे के समान है । तरफ मुश्किल से जाता है। खाने समय मरं या इस प्रकार बेहोश करके मारने की प्रथा में सब तरह मारे गये का भेद उसके ध्यान में नहीं आता। की हत्या आ जायगी । कहा य जायगा कि चीज एकवार मांस का स्वाद आ जाने पर और मृत- नं एक ही है पति पाई कि पीछे खाई। जिस मांस दुर्लभ होने पर लोग नाना तरीकों से प्राणियों प्रकार हम भ्रम-हत्या की हत्या कर सकते है को मारने लगते हैं और उनके तरीके एम उममें मनुष्य-वध मे कम यार होने पर भी उसे निर्दय अर्थात् होत कि उममहत्या की श्रेणी मने उसी प्रकार अंडे के कमाई का काम कर .: मालूम होता है। नभनी पक्षी के नाम का अंगी में लेना चाहिये। स्वास रोक कर तड़पा तडकर मारना, गरम मप्रकार स्थान में माधारण माममाण पानी में उबालना आदि निर्दयता क क य मन-स कम दोष होने पर भी मॉम के समान उसका मांसभक्षण के नाम पर किये जानते है इमलिय मा त्याग करना चाहिये। 'मांस के लिये पशुओं को न माग जाय' म -मद्यपान- मवान का मतलब नियम के लिये हर तरह के माम का म्यान होना नशीली चीजी से है, शराब अफीम आदि चीजे चाहिये।
इस में शामिल है। नशे में मनुष्य अपव्यय करता प्रश्न-कहीं कहीं अपने आप मरे जानवर है घर और समाज की पूरी नहीबरन के मांस खाने की मनाई है पर मारे गये मांन साथ ही भान न रहने से दूसरों का अपमान खाने की मनाई नहीं है इसका क्या कारण है ! कर बैठता है या सता डालता है, इस प्रकार
उत्तर--यह भेद स्वास्थ्य की दृष्टि से किया नशा करने से अपनी और समाज को काफी गया है, हिंसा अहिंसा की दृष्टि से नहीं। आने हानि होती है। आप मरे हुर जानवर में अधिकतर कोई न कोई शराबी लोगों के घर उजड़ जाते है, पानी बीमारी रहती है इसलिये उसका मांस भी विशेष और बच्चे की दुर्दशा हो जाती है, किसी का पै.मारी पैदा कर सकता है।
उस पर विश्वास नहीं रहता, इलादि में प्रश्न अंडे का सेवन मासमक्षम है कि नहीं! मगपान दुर्भोग है, हर एक आदमी को इसका
उत्तर--मृतमांस के विषय में जो बात कही त्याग करना चाहिये। गई है उसका कुछ भाग अंडों के बारे में भी कहा जो लोग भग आदि का नशा करत हे जा सकता है । अंडा पक्षी का शरीर है उसमें भी एक तरह के शगयी है। प्राण है इसीलिये उसमें प्रगति होती है, जीवन के प्रश्न- भंग के नशे में अच्छे अच्छे विचार इतने चिन्ह देख लेन पर अंडा और पक्षी की सूझते हैं कुछ लोग तो भंग पाकर ही अच्छा